अनिल तिवारी बोले – न्यायपालिका पर विश्वास टूटा तो खतरे में पड़ेगा लोकतंत्र

 


प्रयागराज : इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने न्यायपालिका में व्याप्त संभावित भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए कहा है कि महाभियोग की कार्यवाही से न केवल न्यायालय की गरिमा बचेगी, बल्कि जनता का भरोसा भी मजबूत होगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि मामला किसी एक न्यायाधीश का नहीं, बल्कि न्यायपालिका के अस्तित्व और लोकतंत्र की मजबूती का है।

उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा, "यदि न्यायाधीश भ्रष्ट हो जाएंगे तो जनता का भरोसा न्यायालय से उठ जाएगा, और ऐसा होने पर लोकतंत्र भी खतरे में पड़ जाएगा।"

यशवंत वर्मा प्रकरण पर दिया गया बयान

तिवारी ने कहा कि मामला न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा से जुड़ा जरूर है, लेकिन यह पूरे न्यायिक तंत्र की विश्वसनीयता से संबंधित है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के आरोपों की निष्पक्ष जांच और आवश्यक कार्रवाई से ही न्यायपालिका की गरिमा को बनाए रखा जा सकता है।

न्यायमूर्ति वर्मा पर लगे गंभीर आरोप

उल्लेखनीय है कि न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा हाल ही में उस समय सुर्खियों में आए थे जब नई दिल्ली स्थित उनके आधिकारिक बंगले में आग लगने की एक रहस्यमयी घटना के बाद स्टोर रूम से भारी मात्रा में नकदी मिलने की खबरें सामने आईं। इसके बाद 22 मार्च को तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने मामले की जांच के लिए तीन न्यायाधीशों की समिति गठित की थी।

शीर्ष अदालत के निर्देश पर 24 मार्च को दिल्ली उच्च न्यायालय ने न्यायमूर्ति वर्मा से सभी न्यायिक कार्य वापस ले लिए थे, और बाद में उनका स्थानांतरण इलाहाबाद उच्च न्यायालय कर दिया गया।

विपक्ष से अपील: “राजनीति न करें, महाभियोग का समर्थन करें”

बार एसोसिएशन अध्यक्ष अनिल तिवारी ने विपक्षी दलों से अपील की है कि वे इस मामले में राजनीति न करें और महाभियोग प्रस्ताव का समर्थन करें। उन्होंने कहा, "यह समय राजनीतिक लाभ-हानि देखने का नहीं, बल्कि न्यायपालिका को बचाने का है।"उन्होंने यह भी जोड़ा कि यदि आज भ्रष्टाचार पर चुप्पी साधी गई तो भविष्य में न्याय प्रणाली पर से जनता का विश्वास समाप्त हो सकता है, जिससे लोकतंत्र की नींव ही हिल जाएगी।

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