उत्तराखंड के विकास को रफ्तार:एलिवेटेड रोड से केदारनाथ रोपवे तकअहम फैसले
देहरादून : उत्तराखंड के विकास को लेकर एक अहम कदम उठाते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को नई दिल्ली में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात की। इस दौरान राज्य की कई महत्वपूर्ण सड़क और अवसंरचना परियोजनाओं को लेकर चर्चा हुई और कई परियोजनाओं को सैद्धांतिक मंजूरी भी मिल गई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल के वर्षों में चारधाम यात्रा के दौरान पर्यटकों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है, जिससे सड़कों पर यातायात दबाव काफी बढ़ गया है। उन्होंने सड़कों की यातायात वहन क्षमता बढ़ाने, बेहतर रख-रखाव और क्षेत्रीय संपर्क को मजबूत करने के लिए प्रस्तावित परियोजनाओं को शीघ्र स्वीकृति देने का अनुरोध किया।
इन परियोजनाओं पर बनी सहमति:
बिन्दाल और रिस्पना नदी पर एलिवेटेड रोड: राष्ट्रीय राजमार्ग-7 के लूप के रूप में 26 किलोमीटर लंबा एलिवेटेड रोड बनेगा। इसके लिए भूमि अधिग्रहण और वनभूमि हस्तांतरण की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी, जबकि ₹6,164 करोड़ की परियोजना लागत में से एसजीएसटी और रॉयल्टी में राज्य सरकार छूट देगी और शेष खर्च केंद्र सरकार उठाएगी।
पंतनगर एयरपोर्ट विस्तार: राष्ट्रीय राजमार्ग-109 (पुराना 87) के संशोधित संरेखण में ₹183 करोड़ की अतिरिक्त लागत का अधिकांश भार केंद्र उठाएगा, राज्य को केवल एसजीएसटी में छूट देनी होगी।
खटीमा रिंग रोड निर्माण: एनएचएआई के जरिए इसका निर्माण होगा।
एनएच-507 और एनएच-534 चौड़ीकरण: बाड़वाला-कटापत्थर-जुड्डो-लखवाड़ और दुगड्डा-गुमखाल खंडों के चौड़ीकरण पर सहमति दी गई।
ऋषिकेश बाईपास: नेपाली फार्म से ढालवाला तक 10.88 किमी लंबे वैकल्पिक संरेखण के लिए अगले तीन माह में वन भूमि हस्तांतरण की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। परियोजना लागत ₹1,546 करोड़ तय की गई है।
केदारनाथ रोपवे: नेशनल हाईवेज एंड लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट लिमिटेड द्वारा बनने वाले इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट पर निविदा स्वीकृति की कार्रवाई जल्द की जाएगी।
बैठक में कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद
इस बैठक में केंद्रीय सड़क परिवहन राज्य मंत्री अजय टम्टा, सड़क परिवहन मंत्रालय के सचिव वी. उमाशंकर, एनएचएआई सदस्य (एडमिन) विशाल चौहान, उत्तराखंड शासन के प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु और आर. मीनाक्षी सुंदरम, सचिव पंकज कुमार पांडेय सहित कई अधिकारी शामिल हुए।
मुख्यमंत्री धामी की इस पहल को राज्य के पर्यटन, व्यापार और आवागमन के लिहाज से बड़ा कदम माना जा रहा है, जिससे भविष्य में उत्तराखंड की सड़कों की तस्वीर बदलने की उम्मीद जताई जा रही है।
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