सांसों पर आकड़ों की बाजीगरी, क्यों बढ़े एक दिन में 26 हजार मामले



भारत में फिर से रौद्र रूप दिखाते कोरोना के दरम्यान हमारी सांसों के साथ आंकड़ों की बाजीगरी का खेल खेला जा रहा है। नम्बरों के जाल में फंसाकर आपको महफूज होने का दिलासा दिलाया जा रहा है,लेकिन असलियत इससे अलगहै। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े इस असलियत को बयां करते हैं।देखने में आया है कि भारत में कोरोना और ओमिक्रॉन संक्रमितों की संख्या सिर्फ प्रतिदिन होने वाली जांच पर ही टिकी है। ऐसे में होशियारी इसी में है कि हम हर हाल में खुद की हिफाजत करें। 

देश में एक दिन पहले 1.80 लाख से ज्यादा संक्रमित आए थे। इतनी बड़ी तादाद में संक्रमितों के सामने आने से भय का माहौल बन गया था। गौरतलब है कि मंगलवार को यह तादाद घट गई और 1.68 लाख,1,68,063 मामले सामने आए लेकिन आज यानि बुधवार को एक बार फिर से 1.94 लाख,1,94,720 संक्रमित सामने आए। इन आंकड़ों को देखकर तो यही समझ में आता है कि कोरोना हमें चारों ओर से घेर चुका है और संक्रमितों की असली तादाद कहीं ज्यादा है। वहीं स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जो आंकड़े पेश किए जा रहे हैं उसे देखकर तो यही लगता है कि सब कुछ रोजाना होने वाली कोरोना जांच पर ही निर्भर कर रहा है। आपको बता दें 10 जनवरी को देश में 15,79,928 लोगों के सैंपल लिए गए थे। तब 1.68 लाख मरीज ही सामने आए थे। हालांकि,जैसे ही 11 जनवरी को करीब दो लाख जांचें बढ़ीं तो 26 हजार से ज्यादा मरीज भी बढ़ गए। 11 जनवरी को 17,61,900 सैंपल लिए गए और देश में रिकॉर्ड 1,94,720 मरीज सामने आए। अब गौर करने वाली बात है कि जैसे-जैसे देश में कोरोना मरीजों की तादाद बढ़ रही है,टेस्टिंग में खेल खेला जा रहा है। कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच आई.सी.एम.आर ने नए दिशा निर्देश जारी किए हैं। अब हर किसी को कोरोना जांच कराने की जरूरत नहीं है। संक्रमित के संपर्क में भी आने पर सिर्फ उन्हीं लोगों का टेस्ट करवाया जाएगा जो बुजुर्ग हैं या गंभीर रूप से बीमार हैं। यानी संक्रमित के संपर्क में आने के बाद भी आप में लक्षण नहीं दिख रहे हैं तो आपको टेस्ट कराने की जरूरत भी नहीं है। 

देखने वाली बात है कि एक तरफ दुनिया में कोरोना का ओमिक्रॉन वैरिएंट रौद्र रूप दिखा रहा है तो भारत में अब तक इसके सिर्फ 4,868 मरीज ही सामने आए हैं। दरअसल कोरोना जांच में पॉजिटिव पाए गए मरीज में ओमिक्रॉन की पुष्टि के लिए जीनोम सिक्वेंसिंग की जरूरत होती है। भारत में इसकी लैब 40 से भी कम हैं। ऐसे में जो राज्य जीनोम सिक्वेसिंग के लिए सैंपल ले भी रहे हैं तो उनको रिपोर्ट के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। सूत्रों का कहना है कि एक रिपोर्ट के लिए 10 दिन से ज्यादा का इंतजार करना पड़ रहा है। 

राज्यों ने कोरोना के आर.टी.पी.सी.आर टेस्ट भी कम कर दिए हैं। ज्यादातर जांच रैपिड एंटीजन के माध्मय से हो रही है। यही कारण है कि हल्के लक्षण वाले मरीज एंटीजन रिपोर्ट में पकड़ में नहीं आ रहे हैं। वहीं अगर इनकी आर.टी.पी.सी.आर जांच की जाए तो बिना लक्षण वाले भी मरीज सामने आ रहे हैं। 


देश में कोरोना की जांच कितनी सुस्त है इसकी पुष्टि केंद्र सरकार के एक खत से होती है। आपको बता दें कि एक सप्ताह पहले जब केंद्र सरकार ने नौ राज्यों को पत्र लिखकर कोरोना टेस्टिंग बढ़ाने को कहा था। यहां पर कोरोना जांच की रफ्तार बहुत धीमी थी। केंद्र की ओर से तमिलनाडु, पंजाब,ओडिशा,उत्तर प्रदेश,उत्तराखंड, मिजोरम, मेघालय, जम्मू.कश्मीर और बिहार सरकार को पत्र भी लिखा गया था।

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