खाद्य सामग्री लेकर आंदोलन में शामिल होने रवाना हुए उत्तराखंड के किसान

 

खाद्य सामग्री लेकर उत्तराखंड के ऊधम सिंह नगर जिले से कई किसान शनिवार को किसान आंदोलन में भाग लेने के लिए रवाना हुए हैं। कृषि कानूनों के विरोध में गाजीपुर दिल्ली बॉर्डर पर किसानों द्वारा किए जा रहे आंदोलन में शामिल किसानों के लिए जसपुर क्षेत्र से दो ट्रैक्टर-ट्रॉली, दो कार में खाने का सामान लेकर 35 किसान शनिवार की सुबह रवाना हो गए हैं।उन्होंने उत्तराखंड बॉर्डर पार कर लिया है। भारतीय किसान यूनियन के जिला अध्यक्ष प्रेम सिंह सहोता ने बताया कि क्षेत्र के किसानों ने एकत्र कर गाजीपुर दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों के खाने के लिए 21 कनस्तर सरसों का तेल, 12 कुंतल चीनी, 2 कुंतल चाय की पत्ती, 6 कुंतल चावल, 6 कुंतल आटा और दाल भेजी है।

ग्राम बहादुरपुर, भवानीपुर, गोविंदपुर आदि ग्राम से 35 किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए गए हैं। लोहड़ी पर्व के लिए 8 कुंतल मावे के लड्डू, एक ट्रॉली गोबर के कंडे, एक ट्रॉली जलोनी लकड़ी, एक ट्रॉली शुद्ध पानी की बोतलें भेजी जाएंगी।उन्होंने बताया कि 18 जनवरी को किसान आंदोलन में घर पर रहकर खेती किसानी करते हुए अथवा आंदोलन में भाग लेकर सहयोग कर रही महिलाओं को संयुक्त किसान मोर्चा सम्मानित करेगा। कृषि कानूनों के वापस होने तक खेत के किसान आंदोलन कर रहे किसानों के लिए खाद्य सामान की आपूर्ति कर आंदोलन में शामिल होते रहेंगे।किसान आंदोलन के समर्थन में किसान कांग्रेस के आह्वान पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार को ट्रैक्टर रैली निकालकर केंद्र सरकार के खिलाफ आक्रोश व्यक्त किया। प्रदेश पदाधिकारियों ने केंद्र सरकार पर किसानों को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए किसान और जनता के हित में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की पुरजोर मांग उठाई।गल्ला मंडी में ट्रैक्टर रैली से पूर्व हुई सभा में कांग्रेस प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव, प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत सहित अन्य नेताओं ने शिरकत की। प्रदेश प्रभारी यादव ने कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ किसान 44 दिनों से दिल्ली बॉर्डर पर धरना दे रहे हैं, लेकिन सरकार किसानों की मांगें मानने के बजाय उन्हें गुमराह कर रही है।प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि सरकार किसानों की आय दोगुनी करने की बात कर रही हैं, लेकिन कर्ज के बोझ से दबे किसान आत्महत्या कर रहे हैं। दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे अब तक 50 से अधिक किसान शहीद हो चुके हैं। सभा के दौरान गल्ला मंडी के दोनों गेट पर बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात रहा।



Sources:AmarUjala

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