उत्तराखंड के छह नेशनल हाईवे के लिए पीएमओ की हरी झंडी का इंतजार


उत्तराखंड के पांच प्रमुख मोटर मार्गों को प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की हरी झंडी का इंतजार है। इन छह मार्गों को नेशनल हाईवे का दर्जा दिए जाने की केंद्र से सैद्धांतिक मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन राज्य सरकार की ओर से लगातार पत्राचार के बावजूद इन मार्गों को नेशनल हाईवे घोषित करने की फाइनल मंजूरी नहीं मिल पा रही। पिछले करीब तीन साल से प्रस्ताव केंद्र में अटके हैं।


आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, अब नेशनल हाईवे का दर्जा दिलाना उतना आसान नहीं है। पहले सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय से नेशनल हाईवे की मंजूरी मिलती थी। लेकिन अब प्रधानमंत्री कार्यालय इसका निर्धारण करता है।
राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए निर्धारित मानकों और ट्रैफिक आदि के आधार पर पीएमओ मंजूरी देता है। विभागीय मंत्री होने के नाते मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सड़कों को फाइनल मंजूरी दिलाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने इस बारे में पत्र भी लिखे हैं। 
21 राष्ट्रीय राजमार्ग हैं प्रदेश में
उत्तराखंड में वर्तमान में 21 राष्ट्रीय राजमार्ग हैं। इनकी लंबाई करीब 2954 किमी है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय को एक दर्जन से अधिक राज्य मोटर मार्गों को नेशनल हाईवे का दर्जा देने के लिए भेजे गए। लेकिन उनमें से आधा दर्जन प्रस्तावों को ही सैद्धांतिक मंजूरी मिल पाई है।


इन मोटर मार्गों को फाइनल मंजूरी का इंतजार


मोटर मार्ग        -  किमी   
खैरना- रानीखेत      -    34
बुआखाल-देवप्रयाग    -    49
देवप्रयाग-गजा-खाड़ी   -     70
पांडुखाल-नागचुलाखाल-बैजरो - 64
बिहारीगढ़- रौशनाबाद      -   33
लक्ष्मणझूला-दुगड्डा-नैनीडांडा-मोहन-रानीखेत -203


नोट: इन सभी मोटरमार्गों को नेशनल हाईवे की सैद्धांतिक मंजूरी मिल चुकी है


मंजूरी मिली तो ये होगा 


राष्ट्रीय राजमार्ग का दर्जा मिलने के बाद प्रस्तावित मोटर मार्गों का कायाकल्प हो जाएगा। वे डबल लेन हो जाएंगे। उनके रखरखाव पर राज्य सरकार जो करोड़ों रुपये खर्च करती है, उसको केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय वहन करेगा। रखरखाव की बची राशि का इस्तेमाल प्रदेश सरकार अन्य स्टेट हाईवे व मोटर मार्गों पर कर सकेगी।


केंद्र सरकार ने अभी तक छह मोटर मार्गों को नेशनल हाईवे का दर्जा देने के लिए अपनी सैद्धांतिक सहमति दी है। एनएच के संबंध में अब प्रधानमंत्री कार्यालय से मंजूरी होती है। राज्य सरकार की ओर से प्रस्ताव के पक्ष में लगातार पत्राचार किया जा रहा है। - हरिओम शर्मा, प्रमुख अभियंता, लोनिवि


Source:AmarUjala


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