राज्यसभा चुनाव:भाजपा में दावेदारों की फेहरिस्त लंबी, यह नेता प्रबल दावेदार


भारत निर्वाचन आयोग के राज्य सभा चुनाव के लिए अधिसूचना जारी करने के साथ ही भाजपा के संभावित दावेदारों में हलचल बढ़ गई है। वैसे पार्टी में राज्यसभा के लिए दावेदारों की फेहरिस्त लंबी है, लेकिन फिलहाल पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा और उत्तराखंड के प्रभारी श्याम जाजू को प्रबल दावेदार माना जा रहा है।


उत्तराखंड से रास सांसद राज बब्बर का कार्यकाल 25 नवंबर को खत्म होने जा रहा है। आयोग ने नौ नवंबर को राज्य की एक मात्र खाली हो रही सीट के लिए चुनाव तिथि का ऐलान कर दिया है। इस दिन राज्य स्थापना दिवस भी है।


भाजपा में अभी जिन दावेदारों के नाम की चर्चा है उनमें पूर्व सीएम बहुगुणा, उत्तराखंड प्रभारी जाजू, हरियाणा भाजपा के संगठन मंत्री सुरेश भट्ट, भाजपा प्रांतीय उपाध्यक्ष अनिल गोयल, पूर्व महामंत्री नरेश बंसल और केंद्रीय कार्यालय सचिव महेश पांडेय भी शामिल हैं।


इसके अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के बेटे शौर्य डोभाल का नाम भी अंदरखाने चर्चाओं में है। डोभाल हाल ही में भाजपा प्रांतीय कार्य समिति सदस्य के रूप में भी शामिल किए गए। वैसे पार्टी के कुछ नेताओं का मानना है कि पूर्व सीएम बहुगुणा व जाजू में से कोई एक राज्यसभा पहुंच सकता है।


वर्ष 2016 में बहुगुणा की अगुवाई में ही कांग्रेस के नौ विधायक भाजपा में शामिल हुए थे और फिर 2017 के विधानसभा चुनावों में इनमें से पांच दोबारा निर्वाचित हुए थे, जबकि दो हार गए थे। बहुगुणा व अमृता रावत चुनाव नहीं लड़े, लेकिन बहुगुणा बेटे सौरभ बहुगुणा को बंपर मतों से जिताने में कामयाब रहे। बहुगुणा को इस एवज में भाजपा की तरफ से अभी कोई बड़ा इनाम नहीं मिला है। 


बाहरवालों ने कभी पलट कर झांका नहीं 
पूर्व सिने कलाकार व वरिष्ठ कांग्रेस नेता राजबब्बर को दून की पूर्व मेयर व राज्यसभा सांसद रही मनोरमा शर्मा के असामयिक निधन के बाद उत्तराखंड के कोटे से राज्यसभा भेजा गया था। ये बात अलग है कि निर्वाचित होने के बाद राजबब्बर ने पलट कर उत्तराखंड की तरफ झांका तक नहीं। यहां तक का अपनी निधि का बजट भी दूसरे प्रांतों में खर्च की। इससे पहले एनडी तिवारी सरकार का कार्यकाल में कांग्रेस ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता कैप्टन सतीश शर्मा व सत्यव्रत चतुर्वेदी को राज्यसभा भेजा था। निर्वाचित होने के बाद उनका भी उत्तराखंड से कोई लगाव नहीं रहा। यानि जिस राजनीतिक दल ने जब भी बाहरी व्यक्तियों को तरजीह दी, निर्वाचित होने के बाद उनका संबंधित राज्य से कभी गहरा नाता नहीं जुड़ पाया। 


राज्यसभा उम्मीदवार के लिए भाजपा में पार्लियामेंट्री बोर्ड होता है, उसमें ही उम्मीदवार के नाम पर विचार किया जाता है। यह अधिकार पार्लियामेंट्री बोर्ड को है कि वे किसे उम्मीदवार बनाना चाहता है। बोर्ड जो भी तय करेगा वही पार्टी का उम्मीदवार होगा।  

त्रिवेंद्र रावत, मुख्यमंत्री

Source:hindustan samachar

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