निजी स्कूलों ने जताई आपत्ति, यह चार शर्तें मानने से किया इनकार


राज्य में दो नवंबर से दसवीं और बारहवीं की कक्षाएं शुरू करने को लेकर जारी की गई एसओपी पर प्राइवेट स्कूलों ने कड़ी आपत्ति जताई है। चार शर्तों को मानने से स्कूलों ने इनकार कर दिया है। कहा कि अगर ये शर्तें नहीं हटाई गईं तो कोई निजी स्कूल नहीं खुलेगा। सोमवार को प्रोग्रेसिव प्रिंसिपल स्कूल्स एसोसिएशन यानी पीपीएसए की बैठक में यह निर्णय लिया गया।


एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रेम कश्यप ने बताया कि सरकार ने एसओपी में एक शर्त तो ये रखी है कि अगर बोर्डिंग स्कूल में किसी बच्चे को संक्रमण हुआ तो स्कूल जिम्मेदार होंगे। इस पर स्कूलों को आपत्ति है और वे इसकी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं हैं। अगर सरकार को यही शर्त जारी रखनी है तो हम किसी सूरत में स्कूल नहीं खोलेंगे। दूसरा उन्होंने सोशल डिस्टेंसिंग के साथ यानी करीब पचास फीसदी बच्चों को स्कूल लाने और ले जाने के लिए बसें चलाने से भी साफ इनकार कर दिया है। 


कश्यप के अनुसार, प्राइवेट स्कूल पहले ही पिछले सात महीनों से आर्थिक नुकसान में चल रहे हैं। पचास प्रतिशत बच्चों संग स्कूल बसें नहीं चला सकते। जिस बच्चे को आना है, उसकी व्यवस्था अभिभावकों को करनी होगी। अभिभावक इसका अतिरिक्त पैसा नहीं देंगे तो वे अपनी जेब से तेल डालकर बसें नहीं चला सकते। इस शर्त पर भी आपत्ति जताई है कि जिसमें सरकार ने कहा कि वे अपने स्कूल में सारे सुरक्षा इंतजामों का शपथपत्र देंगे।


निजी स्कूलों के अनुसार, जब जिला प्रशासन, हेल्थ और शिक्षा विभाग की टीमें स्कूल खुलने से पहले निरीक्षण कर सारे इंतजामों का जायजा लेने के बाद अनुमति देंगी और निरीक्षण करती रहेंगी तो हमसे शपथपत्र क्यों मांगा जा रहा है? इसके अलावा भी कुछ और शर्तों पर भी प्राइवेट स्कूलों ने आपत्ति जताते हुए इन्हें संशोधित करने की मांग की है।


अगर ऐसा नहीं होता है तो स्कूल नहीं खोले जाएंगे। वहीं शिक्षा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम का कहना है कि छात्रों की सुरक्षा को देखते हुए ही एसओपी तैयार की गई है। शर्तें विचार-विमर्श के बाद रखी गई हैं। निजी स्कूलों की कोई भी मांग नहीं मानी जाएगी। 


सरकार खुद खोल ले निजी स्कूल
पीपीएसए अध्यक्ष कश्यप ने कहा कि एसओपी में कई ऐसी शर्तें हैं, जो मंजूर नहीं। जब सरकार के नुमाइंदे स्कूलों के निरीक्षण के बाद खोलने की मंजूरी देंगे तो हमसे इंतजाम का शपथपत्र क्यों मांगा जा रहा है। अगर शर्तें हटाई या संशोधित नहीं की गईं तो हम स्कूल नहीं खोलेंगे। सरकार अड़ी रहती है खुद ही सारे स्कूल संचालित कर ले। हम पूरी तरह से स्कूल बंद कर देंगे।


स्कूल खोलने पर तीन दिन बाद लेंगे फैसला
पीपीएसए की ओर से राज्यभर के स्कूलों के प्रतिनिधियों को शामिल किया गया था। तय हुआ कि अभी डे-स्कूलों के सिर्फ दस प्रतिशत बच्चों के अभिभावकों ने बच्चों को भेजने की सहमति दी है। जबकि बोर्डिंग के बच्चों के अभिभावकों के पूरे जवाब नहीं आए हैं। ऐसे में दस प्रतिशत या उसके आसपास ही बच्चे आने पर स्कूल खोलना मुश्किल होगा।


पीपीएसए अध्यक्ष कश्यप ने कहा कि तय किया गया कि अगले दिन तक अभिभावकों की सहमति की संख्या देखने के बाद ही निजी स्कूल खोलने पर निर्णय लिया जाएगा। क्योंकि स्कूलों को इसमें काफी व्यवस्थाएं करनी हैं। ऐसे में अगर दस प्रतिशत के आसपास ही बच्चे आते हैं तो स्कूल नहीं खोल जाएंगे।


Source:Hindustan samachar


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