उत्तराखंड : नई प्रक्रिया शुरू, जेलों में हस्ताक्षर से नहीं चलेगा काम, अब लिखना पड़ेगा पूरा नाम


सूबे की जेलों में अब हस्ताक्षर के फर्जीवाड़े का खेल नहीं चलेगा। फाइलों पर अधिकारी को हस्ताक्षर के साथ अपना नाम, पद नाम और तारीख भी लिखनी पड़ेगी। ऐसा नहीं करने पर फाइल वापस लौट जाएगी और संबंधित के खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी होगी। नए जेल आईजी एपी अंशुमान ने सभी जेलों को यह आदेश जारी कर तत्काल अमल करने के निर्देश दिए हैं।


सूबे की जेलों से अधिकारियों के पास आने वाली फाइलों में जेलर और कर्मचारी हस्ताक्षर तो कर देते हैं, लेकिन उसके नीचे नाम, पद नाम, विभाग और तारीख नहीं लिखते। ऐसे में किसी जरूरत के वक्त या अनियमितता पाए जाने पर हस्ताक्षर करने वाले कर्मचारी की पहचान में काफी वक्त जाया होता है। कई बार जब कर्मचारी सेवानिवृत्त हो जाता है तो यह काम और मुश्किल हो जाता है।
कई बार तो हस्ताक्षर के नीचे हस्ताक्षर करने वाले तारीख जानबूझकर नहीं डालते हैं, ताकि भविष्य में इसका अनुचित फायदा लिया जा सके। इसलिए जेल आईजी ने आदेश जारी किया है कि सरकारी फाइलों पर हस्ताक्षर करते वक्त जेलर और कर्मचारी अपना नाम, पद नाम और तारीख अनिवार्य रूप से लिखें।
ऐसा नहीं करने पर संबंधित के खिलाफ जांच और कार्रवाई दोनों होगी। माना जा रहा है कि इस फैसले का मकसद किसी सरकारी फाइल पर हस्ताक्षर करने वाले अथवा टिप्पणी लिखने वाले अधिकारी और कर्मचारी की पहचान सुनिश्चित करना है।


रुड़की में गैंगवार के बाद गड़बड़ी का हुआ था खुलासा


रुड़की जेल के बाहर पांच अगस्त 2014 को गैंगवार हुई थी। गैंगवार मामले की जांच की गई तो पता चला था कि तत्कालीन जेलर ने जेल की फाइलों में कई गड़बड़ियां की थीं। यहां तक की मिलाई रजिस्टर में बड़ी गड़बड़ी पाई गई थी। इसमें समय, दिन और मिलाई करने वाले नाम में गड़बड़ी सामने आई थी। इसके अलावा भी कई जेलों में सरकारी फाइलों संबंधी गड़बड़ी पकड़ी जा चुकी है।


जेलों में सुधार लाने के लिए यह प्रक्रिया शुरू की गई है। सभी जेलों को यह प्रक्रिया तत्काल शुरू करने के आदेश दिए गए हैं। उम्मीद है कि आने वाले समय में इस प्रक्रिया से जेलों में होने वाली गड़बड़ियों पर विराम लग सकेगा।
- एपी अंशुमान, आईजी जेल


Source:Agency News


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