सुप्रीमकोर्ट ने प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाने के लिए 15 दिन का दिया वक्त


नई दिल्ली। प्रवासी मजदूरों के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई की। कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से कहा कि हम आपको 15 दिन का वक्त देना चाहते हैं ताकि आप देशभर में फंसे सभी प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचा सकें। अदालत ने राज्यों से कहा कि जो मजदूर वापस आ रहे हैं, उनके लिए आवश्यक तौर पर रोजगार का इंतजाम किया जाए।


सुनवाई के दौरान केंद्र ने कोर्ट को बताया कि प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाने के लिए 3 जून तक 4200 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई गईं। करीब एक करोड़ लोगों को उनके मूल निवास स्थान तक पहुंचाया गया है।


प्रवासी मजदूरों पर राज्यों ने कोर्ट से क्या कहा?


उत्तर प्रदेश की तरफ से वरिष्ठ एडवोकेट पी नरसिम्हा ने कहा- राज्य में मजदूरों से कहीं भी किराया नहीं लिया जा रहा है। 1664 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें की व्यवस्था इन प्रवासी मजदूरों को राज्य में लाने के लिए की गई है और 21.69 लाख लोगों को अब तक वापस लाया गया है। दिल्ली से बसों ने 10 हजार से ज्यादा बार सफर किया है और वहां से 5.50 लाक प्रवासी मजदूरों को वापस लाया गया है।


बिहार की तरफ से वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार ने कहा- 28 लाख लोग बिहार लौटे हैं। इन सभी लोगों को रोजगार मुहैया कराए जाने के लिए बिहार सरकार सभी जरूरी कदम उठा रही है।


दिल्ली की तरफ से एडिशनल सॉलिसीटर जनरल संजय जैन ने कहा- 2 लाख वर्कर अभी भी दिल्ली में हैं। ये लोग वापस नहीं जाना चाहते हैं। 10 हजार से भी कम वर्करों ने अपने मूल निवास स्थान जाने की इच्छा जाहिर की है।


कोर्ट ने निजी अस्पतालों से पूछा- कोरोना मरीजों का इलाज मुफ्त कर सकते हैं?


जिन चैरिटेबल निजी अस्पतालों को मामूली दामों पर अस्पताल बनाने के लिए जमीन दी गई है, सुप्रीम कोर्ट ने उनसे पूछा कि क्या आप कोरोना मरीजों को मुफ्त में इलाज मुहैया करा सकते हैं। कोर्ट ने अस्पतालों से रिपोर्ट मांगी कि क्या आयुष्मान भारत योजना जैसी स्कीम इलाज के दौरान लागू की जा सकती है।


इस दौरान केंद्र की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा- जो लोग इलाज का खर्च नहीं उठा सकते हैं, उन्हें इस योजना के तहत कवर किया जा रहा है। हमने कदम उठाए हैं। खाना बांटने के लिए भी केंद्र ने सुधारात्मक कदम उठाए हैं। हमसे जो संभव हो सकता है, हम वह कर रहे हैं।


पिछली सुनवाई में कोर्ट दिए थे 4 अंतरिम आदेश


1. 28 मई को इस मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रेन और बस से सफर कर रहे प्रवासी मजदूरों से कोई किराया ना लिया जाए। यह खर्च राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारें उठाएं।


2. स्टेशनों पर खाना और पानी राज्य सरकारें मुहैया करवाएं और ट्रेनों के भीतर मजदूरों के लिए यह व्यवस्था रेलवे करे। बसों में भी उन्हें खाना और पानी दिया जाए।


3. देशभर में फंसे मजदूर जो अपने घर जाने के लिए बसों और ट्रेनों के इंतजार में हैं, उनके लिए भी खाना राज्य सरकारें ही मुहैया करवाएं। मजदूरों को खाना कहां मिलेगा और रजिस्ट्रेशन कहां होगा। इसकी जानकारी प्रसारित की जाए।


4. राज्य सरकार प्रवासी मजदूरों के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को देखें और यह भी निश्चित करें कि उन्हें घर के सफर के लिए जल्द से जल्द ट्रेन या बस मिले। सारी जानकारियां इस मामले से संबंधित लोगों को दी जाएं।


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