लद्दाख के देपसांग इलाके में घुस आए चीनी, तम्बू गाड़े, मिलिट्री व्हीकल और तोपें भी पहुंचाईं


नई दिल्ली/लेह। भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव कम होता नहीं दिख रहा है। चीनी सेना की हलचल अब देपसांग सेक्टर में भी बढ़ गई है। बताया जा रहा है कि चीन के सैनिक यहां घुसपैठ की कोशिश में हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन ने पूर्वी लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) हवाई पट्टी से 30 किलोमीटर और देपसांग से 21 किलोमीटर दूर बड़ी संख्या में सेना तैनात की है। यहां कैम्पों में सैन्य गाड़ियां और तोप भी पहुंचने लगी हैं।


 


चीन इस इलाके में पेट्रोलिंग प्वाइंट 10 से 13 के बीच भारतीय सेना के लिए मुश्किल खड़ी करना चाहता है। वह काराकोरम दर्रे के पास के इलाकों में कब्जा करना चाहता है, ताकि उसे पाकिस्तान जाने वाले हाईवे के लिए रास्ता मिल जाए। भारत ने इस प्रोजेक्ट के निर्माण को रोक दिया था। इससे पहले चीन और भारत के बीच गलवान घाटी, पैंगोग सो और हॉट स्प्रिंग्स इलाके में तनाव जारी है।


 


चीन ने गलवान घाटी में बड़ी संख्या में सैन्य कैम्प बना लिए थे


 


लद्दाख की गलवान घाटी में 10 दिन पहले भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद एक सैटेलाइट इमेज से नया खुलासा हुआ है। इस हाई रेजोल्यूशन इमेज में गलवान नदी के आसपास लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएली) के दोनों ओर चीनी सेना के कई निर्माण या कैम्प साफतौर पर दिखाई दिए हैं। रिपोर्ट्स में इस दावे से जुड़ी तस्वीर जारी की गईं। गलवान घाटी में 15 जून की रात हिंसक झड़प में हमारे 20 जवान शहीद हो गए थे, जबकि चीन के कमांडिंग अफसर समेत करीब 40 सैनिक मारे गए।


 


रिटायर्ड मेजर जनरल रमेश पधी ने सैटेलाइट इमेज पर कहा कि चीन ने गलवान घाटी में पूरी प्लानिंग के साथ सेना की गाड़ियां और साजो-सामान जमा कर लिया था ताकि वह लंबे समय तक यहां डटा रहे।


 


नई सेटेलाइट इमेज में क्या है?


 


यह हाई रेजोल्यूशन सैटेलाइट इमेज गलवान घाटी के पेट्रोल प्वाइंट-14 की है। 22 मई को ली गई एक इमेज में गलवान घाटी में एलएसी के नजदीक सिर्फ एक टेंट नजर आ रहा है। लेकिन इसके बाद ली गई दूसरी इमेज में एलएसी के पास चीनी सेना की मौजूदगी और उसके निर्माण साफतौर पर नजर आए। जो 15 जून को हुई हिंसक झड़प के बाद एकाएक नदारद भी हो गए। यहीं पर 16 जून को ली गई एक अन्य तस्वीर में चीन के बुल्डोजर भी दिखे।



लद्दाख की गलवान घाटी में चीन की सेना ने भारतीय जवानों पर हमले से पहले एलएसी के आसपास भारी मात्रा में साजो समान जुटाया था।


प्रधानमंत्री मोदी के बयान पर विवाद


गलवान घाटी में सीमा विवाद और 20 जवानों की शहादत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 जून को ऑल पार्टी मीटिंग बुलाई थी। इसमें पीएम ने कहा था कि भारतीय सीमा में कहीं पर भी किसी सेना का कब्जा नहीं है। इस पर कांग्रेस समेत विपक्षी दल उन पर हमलावर हैं। इसके बाद सरकार ने सफाई दी कि प्रधानमंत्री की बात का गलत मतलब निकाला जा रहा है। बल्कि उनका कहना है कि गलवान घाटी में एलएसी के आसपास कहीं भी चीनी सैनिकों की मौजूदगी नहीं है। भारतीय जवानों की मुस्तैदी से ही ये संभव हो पाया है।


 


भारत ने कहा- चीन एलएसी के पास से पीछे हटे


 


भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर 15 जून की रात हिंसक झड़प हुई थी। इस दौरान चीनी सैनिकों ने भारतीय जवानों पर कटीले तारों और घातक हथियारों से हमला बोल दिया था। इसमें बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग ऑफिसर समेत हमारे 20 जवान शहीद हुए थे। इसके बाद विवाद सुलझाने के लिए दोनों देशों के बीच मॉल्डो में लेफ्टिनेंट जनरल लेवल की बातचीत हुई। इसमें भारत ने हिंसक झड़प को चीन की सोची समझी साजिश बताते हुए नाराजगी जाहिर की और कहा कि चीन अपने सैनिकों को पैंगोंग त्सो इलाके और गलवान घाटी से पीछे हटाए।


Source :Agency news


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