दिल्ली हिंसा- लोग घरों में कैद, बाहर जवान मुस्तैद, दहशत में 35 लाख की आबादी

 




नई दिल्ली/हिंसा प्रभावित उत्तर-पूर्वी दिल्ली भले ही शांति की राह पर है, लेकिन यहां रहने वाले लगभग 35 लाख लोग अब भी दहशत में हैं। आलम यह है कि रात में पुलिसकर्मियों के गश्त के अलावा मोहल्ले के लोग भी पहरा दे रहे हैं। पुलिस बैरिकेड लगाकर लोगों ने अपनी गलियों को अस्थायी रूप से बंद कर दिया है।उन्हें डर है कि कहीं रात के अंधेरे में फिर कोई आकर इनका चैन न छीन ले। ऐसे में कोई छत से टॉर्च लगाकर देख रहा था तो कोई आवाज देकर पहचान पूछ रहा था।ब्रह्मपुरी रोड रासत के समय अधिकतर होटल या खाने-पीने की दुकानें हैं। पूरी रात वाहनों की आवाजाही की वजह से यह रोड रात भर गुलजार रहता है। लेकिन शनिवार को इस रोड पर सन्नाटा पसरा था। बमुश्किल से इक्के-दुक्के लोग दिखाई पड़े। रात 11ः 30 से पहले ही सभी दुकानें बंद हो चुकी थीं। हिंसा से सबसे ज्यादा प्रभावित जाफराबाद इलाके में पुलिस के साथ साथ अर्द्धसैनिक बल के जवान मुस्तैद दिखे। मेन रोड पर अधिकतर सार्वजनिक वाहन नहीं दिखे। सड़क पर कोई चहल-पहल नहीं दिखी। बीच-बीच में वाहनों की आवाज यहां पसरे सन्नाटे को चीर रही थी। गलियों में घरों की लाइटें बंद थी, पर रहने वाले लोग सतर्क थे। पदचाप की आवाज से ही चैंक जाते हैं। हिंसा प्रभावित मौजपुर इलाके की सभी गलियों को लोगों ने अपनी सुरक्षा के लिए मुख्य सड़क पर पुलिस बैरिकेड लगा रखे हैं। जिससे कोई भी व्यक्ति गलियों में प्रवेश न ले सके। गलियों एकदम सुनसान थीं।जिन गलियों के बाहर लोहे के गेट लगे हैं उस पर ताला लगा था। यहां की कुछ गलियों में रोशनी देखने को मिली तो कुछ गलियों में घोर अंधेरा था। वहीं, कुछ गलियों में कुछ दूरी की रोशनी के बाद अंधेरा पसर रहा था।


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