बनारस घराना परंपरा के संरक्षक पंडित छन्नूलाल मिश्र का निधन
बनारस :प्रसिद्ध हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र का उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। 89 वर्षीय मिश्र पिछले कई महीनों से चिकित्सा देखभाल में थे। उनकी बेटी नम्रता मिश्रा ने मीडिया को फ़ोन पर उनके निधन की पुष्टि की। पंडित मिश्र का पार्थिव शरीर दोपहर बाद मिर्ज़ापुर से वाराणसी लाया जाएगा और उनका अंतिम संस्कार आज रात मणिकर्णिका घाट पर होगा, जो इस पवित्र नगरी के सबसे प्रतिष्ठित दाह स्थलों में से एक है।
पद्म विभूषण से सम्मानित पंडित छन्नूलाल मिश्र को हृदय संबंधी समस्या के बाद बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से संबद्ध सर सुंदरलाल अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था। उनका उपचार हीमोग्लोबिन की कमी और बिस्तर पर पड़े घावों के लिए किया जा रहा था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महान शास्त्रीय गायक पंडित मिश्र के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि मिश्र जी ने न केवल शास्त्रीय संगीत को आम जनता के करीब लाया, बल्कि वैश्विक मंच पर भारतीय परंपराओं को प्रदर्शित करने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। प्रधानमंत्री ने व्यक्तिगत रूप से अपने जुड़ाव और वर्षों तक मिले स्नेहपूर्ण आशीर्वाद को याद किया। उन्होंने मिश्र जी के परिवार और प्रशंसकों के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त करते हुए उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पंडित छन्नूलाल मिश्र का निधन अत्यंत दुःखद और शास्त्रीय संगीत विधा की अपूरणीय क्षति है। उन्होंने कहा कि मिश्र जी ने अपना पूरा जीवन भारतीय शास्त्रीय गीत-संगीत के उत्थान में समर्पित किया और उनका गायन कला साधकों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहा। मुख्यमंत्री ने प्रभु श्री राम से प्रार्थना की कि दिवंगत पुण्यात्मा को सद्गति मिले और उनके शोकाकुल परिजनों, अनुयायियों एवं प्रशंसकों को यह दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान हो।
पंडित छन्नूलाल मिश्र को हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के महानतम प्रतिपादकों में से एक और बनारस घराना परंपरा के संरक्षक के रूप में व्यापक रूप से जाना जाता था। ख्याल, ठुमरी और भजनों की अपनी भावपूर्ण प्रस्तुतियों के लिए प्रसिद्ध, उन्होंने भारतीय सांस्कृतिक विरासत की समृद्धि को पीढ़ियों तक आगे बढ़ाया। उनके प्रदर्शनों ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों ही श्रोताओं पर अमिट छाप छोड़ी।
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