"सेतु आयोग की रिपोर्ट में शहरी निकायों के सशक्तिकरण के लिए बहुआयामी सुझाव"

 


देहरादून :  उत्तराखंड में नगर निकायों के सशक्तिकरण और शहरी प्रशासन को आधुनिक, समावेशी और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। बुधवार को राज्य सचिवालय में सेतु आयोग ने मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी को एक गहन विश्लेषण आधारित रिपोर्ट सौंपी, जिसमें नगर निगमों और नगर पालिकाओं के प्रशासनिक, वित्तीय और तकनीकी सुधारों के लिए विस्तृत सुझाव दिए गए हैं।

सेतु आयोग के उपाध्यक्ष श्री राज शेखर जोशी ने मुख्यमंत्री को रिपोर्ट सौंपते हुए बताया कि यह दस्तावेज़ शहरी विकास से जुड़े तमाम पहलुओं का समग्र मूल्यांकन करते हुए तैयार किया गया है, जिसका उद्देश्य उत्तराखंड के शहरी निकायों को स्वावलंबी, उत्तरदायी और भविष्य उन्मुख बनाना है।

इस रिपोर्ट का प्रमुख फोकस शहरी निकायों को वित्तीय रूप से सशक्त और आत्मनिर्भर बनाना है। इसके लिए राजस्व जुटाने की स्थानीय क्षमता बढ़ाने, स्वतंत्र बजट निर्माण, और नवीन स्रोतों से फंडिंग की सिफारिश की गई है। रिपोर्ट में संविधान की बारहवीं अनुसूची में उल्लेखित 18 कार्यों – जिनमें जल आपूर्ति, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, शहरी नियोजन, सार्वजनिक स्वास्थ्य आदि शामिल हैं – को नगर निकायों को पूरी तरह हस्तांतरित करने पर जोर दिया गया है।

रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया गया है कि उत्तराखंड को स्मार्ट गवर्नेंस की ओर अग्रसर होना चाहिए। इसके तहत जीआईएस (GIS) मैपिंग, डेटा आधारित निर्णय-निर्माण, और ई-गवर्नेंस सिस्टम को सभी निकायों में लागू करने की अनुशंसा की गई है। इससे न केवल प्रशासनिक पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि नागरिक सेवाओं की दक्षता और पहुंच भी बेहतर होगी।

रिपोर्ट में मानव संसाधन विकास को भी विशेष महत्व दिया गया है। इसके तहत निकायों के अधिकारियों, कर्मचारियों एवं निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के लिए नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रमों के आयोजन की आवश्यकता बताई गई है। इससे शहरी प्रशासन में व्यावसायिकता बढ़ेगी और निर्णय-निर्माण अधिक वैज्ञानिक एवं लोकहितकारी होगा।

विशेष बात यह रही कि रिपोर्ट में देश के अन्य राज्यों – जैसे महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और ओडिशा – में लागू किए गए सफल मॉडलों और सुधारों का तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया गया है। इन मॉडलों को उत्तराखंड की भौगोलिक, पर्यावरणीय और सामाजिक संरचना के अनुरूप ढालकर लागू करने के सुझाव भी दिए गए हैं। इसके अंतर्गत शहरी पारगमन प्रणाली, नगरिक भागीदारी, स्वच्छता प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में अपनाई गई सर्वोत्तम प्रथाओं (best practices) को उत्तराखंड में लाने पर विचार किया गया है।

रिपोर्ट में आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में भी गंभीर सुझाव दिए गए हैं। खासकर भूस्खलन प्रबंधन, आपदा-रोधी नगर नियोजन, और जलवायु परिवर्तन अनुकूल नीतियों को अपनाने की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है। यह भी उल्लेख किया गया है कि इन योजनाओं को तैयार करने में स्थानीय जनता की राय को प्राथमिकता दी जाए, जिससे योजनाएं जमीनी स्तर पर प्रभावशाली और व्यावहारिक सिद्ध हों।

रिपोर्ट सौंपने के इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के साथ राज्य के वरिष्ठ अधिकारी एवं मंत्रीमंडल के सदस्य उपस्थित रहे। कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, मुख्य सचिव श्री आनंद बर्द्धन, शहरी विकास सचिव श्री नितेश झा, वित्त सचिव श्रीमती राधिका झा, और अन्य अधिकारी – श्री चंद्रेश यादव, सेतु आयोग के सीईओ श्री शत्रुघ्न सिंह, डॉ. भावना शिंदे, डॉ. प्रिया भारद्वाज, श्री अंकित कुमार एवं शहजाद अहमद मलिक – भी इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में मौजूद रहे।

मुख्यमंत्री ने इस रिपोर्ट को उत्तराखंड के शहरी विकास के क्षेत्र में दिशा-निर्देशक दस्तावेज़ बताते हुए कहा कि सरकार इसके सभी बिंदुओं पर गंभीरता से विचार करेगी और व्यावहारिक सुझावों को नीति में शामिल कर राज्य को सशक्त, स्वच्छ और स्मार्ट बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाएगी।

यह रिपोर्ट निश्चित ही राज्य के शहरी स्थानीय निकायों को एक नई दिशा और दृष्टि प्रदान करेगी और आने वाले वर्षों में उत्तराखंड को शहरी प्रबंधन के क्षेत्र में एक आदर्श राज्य के रूप में स्थापित करने में मदद करेगी।

टिप्पणियाँ