"हरियाली ही जीवन है: वृक्षारोपण से ही मिलेगा शांति और संतुलन"

 


 

(सुनील कुमार माथुर)

पेड़ पौधे बड़े ही सुन्दर और दयालु प्रवृत्ति के होते हैं जो इंसानों को ही नहीं जीव जन्तुओं को भी प्राकृतिक हवा , फल फूल व जीवन रक्षक आक्सीजन प्रदान करते हैं ।‌ ठंडी-ठंडी छांव देते हैं । हरियाली देते हैं और उनकी शरण में जाने वाले हर जीव जन्तुओं व राहगीरों को वे शीतलता प्रदान करते है । पक्षियों व जंगली जानवरों को रहने के लिए स्थान दिया ।
उनकी शरण में आने वालें हर किसी को उन्होंने सर्दी , गर्मी और वर्षा से रक्षा की । वृक्षों ने अपनी पीड़ा सुनाते हुए बताया कि हम जब वृध्द हो जाते है अर्थात् सूख जाते है तो हमारी लकड़ियां जलाने के काम आई ।

हमने अपने जीवन के अंत समय तक मानव जाति की सेवा की , लेकिन बदलें में हमें क्या मिला ।विकास के नाम पर हरे भरे वृक्षों को काट डाले गए । जंगल के जंगल उजाड़ दिए । यहां तक कि मानव ने सुनियोजित षड़यंत्र कर जंगलों में आग लगा दी और सारे वृक्षों को जलाकर बड़ी बड़ी हवेलियां , होटलें , महल व इमारतें खड़ी कर ली । पक्षियों व जानवरों के रहने की जगह छीन ली , नतीजन आज वे दर दर भटक रहे हैं ।इंसान भले ही हरे भरे वृक्षों को विकास के नाम पर काट ले , लेकिन फिर भी वह कभी सुखी व संतुष्ट नहीं रहेगा ।‌ उसके पंखे , कूलर , एसी सभी उसे बीमार कर देगे । वह जीवन भर बिमारियों से परेशान रहेगा ।

यह इन हरे भरे वृक्षों की चीत्कार है । इंसान हर दिन गर्मी के मौसम में डंडी छांव ( छाया ) व ठंडी-ठंडी प्रकृति की हवा को तरसेगा । प्रकृति के सौंदर्य को देखने के लिए , शुध्द हवा , आक्सीजन , प्राकृतिक फल फूल , सब्जियों , भीनी भीनी सुगंध को तरसेगा वह विकास के नाम पर विनाश के मार्ग पर चल रहा हैं ।हे इंसान ! अब भी वक्त है । हर वर्ष कम से कम पांच वृक्ष अवश्य लगाएं और उनकी तब तक देखरेख करे जब तक वे पनप न जाये , वे फल फूल देने लायक युवा न हो जाये ।

चूंकि हरे भरे वृक्ष है तभी ठंडी-ठंडी छांव , प्राकृतिक हवा , स्वादिष्ट फल फूल , सब्जियां व आक्सीजन का भंडार है । हर घर , हर गली , हर सड़क के किनारे हरे भरे वृक्ष हो तभी वे हरा भरा पार्क बन पायेंगे । वरना ये आग उगलती धूप व गर्मी हैं । प्रकृति को कोसने से कोई लाभ नहीं हैं ।वृक्ष हमारी आस्था के प्रतीक हैं । वे लोक विश्वास व सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक हैं । पेड़ों के नीचे जनता-जनार्दन मन्नतें मांगती हैं और बरगद व पीपल के वृक्ष तो भारत में पूजे जाते हैं इसलिए वृक्षारोपण कीजिए और देश को फिर से हरा भरा बनाइये । चूंकि यह वृक्ष ही धरती के आभूषण ( श्रृंगार ) है । इनकी रक्षा करना हमारा नैतिक धर्म हैं ।


स्वतंत्र लेखक व पत्रकार
जोधपुर राजस्थान

टिप्पणियाँ