ईडी की बड़ी कार्रवाई: कुंभ मेले में फर्जी कोविड टेस्ट घोटाले में चार्जशीट दाखिल

 


हरिद्वार  : कुंभ मेला-2021 के दौरान सामने आए कोविड टेस्ट फर्जीवाड़ा मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए चार्जशीट दाखिल कर दी है। इस बहुचर्चित घोटाले में ईडी ने कुल 14 आरोपियों को नामजद किया है, जिनमें मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज, नोवस पैथ लैब्स, डीएनए लैब्स और डॉ. लाल चंदानी लैंस प्राइवेट लिमिटेड जैसी कई जानी-मानी लैब्स के नाम शामिल हैं।

ईडी ने चार्जशीट में बताया है कि इन लैब्स ने कोविड जांच की वास्तविक संख्या को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया और बिना किसी सैंपल लिए फर्जी तरीके से रिपोर्ट तैयार कर सरकारी भुगतान हासिल किया। इन पर फर्जीवाड़े के जरिए मोटी रकम वसूलने का आरोप है, जिसे बाद में मनी लॉन्ड्रिंग के जरिये अन्य माध्यमों में निवेश किया गया।

कोर्ट ने लिया मामले का संज्ञान

चार्जशीट दाखिल होने के बाद कोर्ट ने मामले का संज्ञान ले लिया है और आगामी 24 जून 2025 की तारीख को अगली सुनवाई के लिए निर्धारित किया है। इस सुनवाई में आरोपियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की दिशा स्पष्ट हो सकती है।

पहले भी की गई थी ईडी की छापेमारी

गौरतलब है कि ईडी इस मामले में पहले भी सक्रिय रूप से कार्यवाही कर चुकी है। एजेंसी ने कई स्थानों पर छापेमारी कर दस्तावेज जुटाए थे और कई करोड़ों की संपत्तियों को भी जब्त किया गया था। जांच के दौरान सामने आया कि किस प्रकार फर्जी आंकड़ों के आधार पर इन लैब्स ने सरकारी एजेंसियों से भुगतान लिया।

2021 में सामने आया था मामला

यह मामला सबसे पहले जुलाई 2021 में उजागर हुआ था, जब हरिद्वार कुंभ मेला के दौरान संदिग्ध कोविड जांच रिपोर्टों की शिकायतें सामने आई थीं। इसके बाद उत्तराखंड सरकार ने जांच के आदेश दिए और विशेष जांच टीम (SIT) का गठन किया गया। जांच के दौरान सामने आया कि लाखों की संख्या में फर्जी कोविड टेस्ट रिपोर्ट तैयार की गई थीं।

ईडी ने इस आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की थी और अब इस मामले में चार्जशीट दाखिल कर प्रक्रिया को आगे बढ़ाया है। आरोपियों के खिलाफ अब न्यायिक कार्रवाई की राह प्रशस्त हो गई है।

क्या था घोटाले का तरीका?

जांच में सामने आया है कि कुंभ मेला में आए श्रद्धालुओं की कोविड जांच के नाम पर संबंधित लैब्स ने बिना सैंपल लिए जांच रिपोर्ट तैयार की। कुछ मामलों में एक ही मोबाइल नंबर और पहचान पत्र का उपयोग कर सैकड़ों रिपोर्ट बनाई गईं। इन रिपोर्ट्स के आधार पर सरकार से भुगतान प्राप्त किया गया, जो सीधे घोटाले की ओर इशारा करता है।

आगे की कार्रवाई

अब सभी की निगाहें 24 जून की सुनवाई पर टिकी हैं। अगर आरोप साबित होते हैं तो मनी लॉन्ड्रिंग के तहत कठोर दंड का प्रावधान है। ईडी आगे चलकर और भी संपत्तियों को जब्त कर सकती है और संबंधित कंपनियों व व्यक्तियों पर वित्तीय प्रतिबंध लगा सकती है।

इस फर्जीवाड़े ने न केवल सरकारी धन का दुरुपयोग उजागर किया, बल्कि देशभर में कोविड महामारी से निपटने की व्यवस्थाओं की पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े किए हैं। मामला यह भी दर्शाता है कि आपदा के समय किस तरह निजी कंपनियां लाभ कमाने के लिए मानवीय और संवेदनशील परिस्थितियों का दोहन करती हैं।

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