“आतंक के खिलाफ भारत का पलटवार: पाकिस्तान को चौतरफा घेराबंदी”
नई दिल्ली : भारत सरकार ने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ कई कड़े कदम उठाए हैं। इस हमले में 26 लोगों की मौत हुई थी, जिनमें से अधिकांश पर्यटक थे। इसे पिछले कुछ वर्षों के सबसे बड़े और दुखद आतंकी हमलों में गिना जा रहा है। हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर पहुँच गया है, और दोनों देशों के बीच कूटनीतिक, व्यापारिक और सामरिक संबंधों में तेज गिरावट देखने को मिल रही है।
व्यापार और डाक सेवाओं पर रोक
विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने 2 मई को एक अधिसूचना जारी कर बताया कि पाकिस्तान से होने वाले सभी प्रकार के आयात, चाहे वे प्रत्यक्ष हों या अप्रत्यक्ष, अगले आदेश तक प्रतिबंधित रहेंगे। इस आदेश को विदेश व्यापार नीति (FTP) 2023 में शामिल किया गया है और यह तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है।
सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया, “यह निर्णय भारतीय शिपिंग, संपत्तियों, कार्गो और संबंधित बुनियादी ढांचे की सुरक्षा के लिए और सार्वजनिक हित में लिया गया है।” स्पष्ट किया गया है कि यदि कोई छूट दी जानी हो, तो उसके लिए सरकार की स्पष्ट मंजूरी आवश्यक होगी।
साथ ही, डाक विभाग ने भी सख्त कदम उठाते हुए पाकिस्तान के साथ हवाई और भूमि मार्गों के माध्यम से सभी मेल और पार्सल सेवाओं को निलंबित कर दिया है। संचार मंत्रालय के अधीन काम करने वाले डाक विभाग ने इसे “सीमा पार संबंधों” के जवाब में लिया गया निर्णय बताया। सरकार के अनुसार, यह कदम आतंकी हमले में शामिल लोगों को सजा दिलाने के संकल्प के तहत उठाया गया है।
सशस्त्र बलों को ‘पूर्ण परिचालन स्वतंत्रता’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमले के बाद शीर्ष रक्षा अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय बैठक की, जिसमें उन्होंने सशस्त्र बलों को आतंकवाद के खिलाफ प्रतिक्रिया के तरीकों, लक्ष्यों और समय-सीमा पर निर्णय लेने की “पूर्ण परिचालन स्वतंत्रता” देने की घोषणा की। बैठक के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि “आतंकवाद को करारा झटका देना राष्ट्रीय संकल्प है” और भारत अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएगा।
सिंधु जल संधि निलंबन और सीमा पर सख्ती
भारत ने 23 अप्रैल को सिंधु जल संधि को निलंबित करने का फैसला किया, जो 1960 से भारत और पाकिस्तान के बीच पानी के बँटवारे का महत्वपूर्ण समझौता रहा है। इसके अलावा, अटारी में एकमात्र ऑपरेशनल लैंड बॉर्डर क्रॉसिंग को भी बंद कर दिया गया है, जिससे सीमा पार व्यापार और आवाजाही पूरी तरह ठप हो गई है। भारत ने हमले के “सीमा पार संबंधों” का हवाला देते हुए पाकिस्तान के साथ राजनयिक संबंधों को भी सीमित कर दिया है, जिससे दोनों देशों के बीच बातचीत के दरवाजे लगभग बंद हो गए हैं।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया
भारत के इन कदमों के जवाब में पाकिस्तान ने भी अपनी प्रतिक्रिया में कोई कसर नहीं छोड़ी। पाकिस्तान ने भारतीय एयरलाइनों के लिए अपना हवाई क्षेत्र बंद कर दिया है और भारत के साथ तीसरे देशों के माध्यम से होने वाले सभी व्यापारिक लेन-देन को निलंबित कर दिया है। इसके अलावा, पाकिस्तान ने भारत के सिंधु जल संधि निलंबन के निर्णय को खारिज करते हुए चेतावनी दी कि पानी के प्रवाह को रोकना “युद्ध की कार्रवाई” माना जाएगा।
क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय चिंता
भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंता बढ़ा दी है। संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, रूस और यूरोपीय संघ ने दोनों देशों से संयम बरतने और बातचीत के रास्ते तलाशने की अपील की है। हालांकि, फिलहाल दोनों पक्षों में सख्त रुख दिखाई दे रहा है, और निकट भविष्य में तनाव कम होने के संकेत नहीं मिल रहे।
भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया घटनाक्रम से यह स्पष्ट हो गया है कि 22 अप्रैल के हमले ने दोनों देशों के रिश्तों में एक और कड़वाहट घोल दी है। भारत का रुख स्पष्ट है कि जब तक आतंकवाद पर सख्त कार्रवाई नहीं होती, तब तक पाकिस्तान के साथ किसी भी प्रकार के संबंध सामान्य नहीं हो सकते। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि दोनों देशों के बीच कूटनीति की कोई खिड़की खुलती है या टकराव की रेखा और गहरी होती है।
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