महिला मतदाताओं को लुभाने के लिए लाया गया महिला आरक्षण विधेयकः कांग्रेस

 


नई दिल्ली: कांग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनाव में महिला आरक्षण विधेयक को लागू करने की मांग करते हुए आरोप लगाया कि केंद्र सरकार द्वारा आम चुनाव से पहले महिला मतदाताओं को लुभाने के लिए यह विधेयक लाया और पारित किया गया। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की प्रवक्ता रंजीत रंजन ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मोदी सरकार ने अचानक संसद का विशेष सत्र बुलाया और नारी शक्ति वंदन अधिनियम (विधेयक) पारित किया। रंजन ने कहा कि लेकिन विधेयक ‘‘पोस्ट डेटेड’’ है, क्योंकि इसे संसदीय और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के पुनर्निर्धारण और जनगणना के लिए परिसीमन की कवायद पूरी होने तक लागू नहीं किया जा सकता है।

मध्य प्रदेश से कांग्रेस की राज्यसभा सदस्य रंजन ने सवाल किया, ‘जब 2029 से पहले विधेयक के लागू होने पर संदेह है, तो केंद्र ने संसद का विशेष सत्र बुलाकर इसे पारित क्यों कराया ? ’’ उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव में इस कानून के अलावा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की तरह अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए भी आरक्षण लागू करने की मांग की। रंजन ने आरोप लगाया ‘‘सरकार आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर महिला मतदाताओं को लुभाने के लिए ही महिला आरक्षण विधेयक लेकर आई है।’’

उन्होंने कहा कि जनगणना 2019 में होनी थी, लेकिन मोदी सरकार ने ऐसा नहीं किया और चूंकि कोविड.19 के मद्देनजर उस साल जनगणना नहीं कराई जा सकी, इसलिए 2021 या 2022 में जनगणना कराई जानी चाहिए थी।महिलाओं को आरक्षण देने के कांग्रेस के कदमों के बारे में रंजन ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 1989 में स्थानीय निकायों और पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने संबंधी विधेयक पेश किया था।

उन्होंने कहा कि लेकिन तब भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेताओं.लाल कृष्ण आडवाणी, अटल बिहारी वाजपेयी, जसवंत सिंह और राम जेठमलानी ने विधेयक का विरोध किया था, जो लोकसभा में तो पारित हो गया था, लेकिन राज्यसभा में महज सात मतों से पारित नहीं हो सका। रंजन ने कहा कि 1992 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पी0वी0 नरसिम्हा राव ने फिर से पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने संबंधी विधेयक पारित किया, जिसके बाद 2010 में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने महिला आरक्षण विधेयक पेश किया।

रंजन ने कहा कि 1989 में जो हुआ,उसके विपरीत विधेयक राज्यसभा में पारित हो गया, लेकिन संप्रग के घटक दलों के बीच आम सहमति की कमी के कारण यह लोकसभा की बाधा पार नहीं कर सका। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने क्रमशः 2018 और 2020 में महिला आरक्षण विधेयक पारित करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा था।

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