कोरोना का बढ़ता खौफ: राज्य सरकारें उठा सकती हैं सख्त कदम



नई दिल्ली: अभी कोरोना काल के कहर से इंसान उबर नहीं पाया है। जैसे तैसे कारोबार पटरी पर आया है लेकिन फिर कोरोना ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया जिससे लोगों को कारोना काल के लाकडाउन का  फिर से डश्र सताने लगा हैै। आपको बता दें कि  पिछले 24 घंटे के अंदर देश में 56 लोगों ने संक्रमण के चलते जान गंवाई है वहीं 1093 लोग इसकी चपेट में आए हैं। अगर हम राज्यों पर नजर दौड़ायें तो देश के नौ राज्यों के 36 जिलों में कोरोना से हालात बेकाबू हैं यहां पॉजिटिविटी रेट पांच फीसदी से भी ज्यादा है। मतलब ये है कि कोरोना की जांच कराने वाले हर 100 लोगों में पांच या इससे ज्यादा संक्रमित पाए जा रहे हैं।

ऐसे में सवाल उठने लगा है कि क्या एक बार फिर से पाबंदियां बढ़ सकती हैं ? क्या ये चौथी लहर है? मामले बढ़ते रहे तो क्या सरकार फिर से लॉकडाउन लगाने पर विचार कर सकती है ? पहले जान लीजिए उन 36 जिलों के बारे में जहां कोरोना ने अपने पैर पसार लिए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपनी साप्ताहिक रिपोर्ट जारी करी है इसमें देश के सभी जिलों में कोरोना के पॉजिटिविटी रेट के बारे में बताया गया है। ये आंकड़े 13 से 19 अप्रैल तक के हैं। इसके अनुसार देश के नौ राज्यों में 36 जिले ऐसे हैं जहां संक्रमण की दर पांच प्रतिशत से अधिक हो गई है। 


राज्य    जिला और पॉजिटिविटी रेट प्रतिशत

उत्तर प्रदेश-गौतमबुद्ध नगर (नोएडा) 10.61प्रतिशत

दिल्ली-दक्षिण (7.82 प्रतिशत) पश्चिम (6.30 प्रतिशत) दक्षिण पश्चिम (5.78) उत्तर पश्चिम (5.75) पूर्वी (5.36 प्रतिशत)

हरियाणा-गुरुग्राम (11.07 प्रतिशत) फरीदाबाद (7.19प्रतिशत)

हिमाचल प्रदेश किन्नौर ;6ण्82ःद्ध

                   

आपको बता दे कि सबसे ज्यादा केरल के 14 जिलों में संक्रमण तेजी से फैल रहा है। यहां पॉजिटिविटी रेट 14 प्रतिशत से 31.64 प्रतिशत तक है। दूसरे नंबर पर मिजोरम के आठ जिले शामिल हैं यहां सात जिलों में पॉजिटिविटी रेट 10 प्रतिशत से ज्यादा है, जबकि एक में 6.87 प्रतिशत है। इसके अलावा मणिपुर के दो, मेघालय के दो और अरुणाचल प्रदेश का एक जिला शामिल है।                    

                     

स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार देश में अभी 13 हजार 433 एक्टिव केस हैं यानी, इन मरीजों का इलाज चल रहा है जबकि रिकवरी रेट यानी मरीजों के ठीक होने की दर 98.76प्रतिशत है,मतलब हर 100 मरीज में 98.76 लोग ठीक हो रहे हैं। अब अगर डेली पॉजिटिविटी रेट यानी हर रोज मिल रहे मरीजों का आंकड़ा देखें तो यह 0.53 प्रतिशत है। कल देशभर में 4.49 लाख लोगों की जांच हुई थी और इनमें 0.53 प्रतिशत लोग संक्रमित पाए गए। वहीं, वीकली पॉजिटिविटी रेट 0.43 प्रतिशत है। 

 इसी साल जनवरी में ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों को देखते हुए दिल्ली सरकार ने बड़ा फैसला लिया था। दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण यानी (डीडीएमए) के कोविड मैनेजमेंट के लिए तैयार ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन यानी जीआरएपी ने कहा था कि अगर लगातार दो दिन तक पॉजिटिविटी रेट पांच प्रतिशत या इससे ज्यादा रहा तो लॉकडाउन लगाया जा सकता है। 


हालांकि, लॉकडाउन को लेकर केंद्र स्तर से कोई स्पष्ट गाइडलाइन नहीं है इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ0 रजनीकांत कहते हैं, ‘लॉकडाउन सबसे अंतिम विकल्प होता है, यह उस स्थिति में लगाया जाता है जब लगता है कि अब बिना इसके संक्रमण को नहीं रोका जा सकता है।’


डॉ0 रजनीकांत के मुताबिक, ‘केंद्र सरकार की तरफ से अब कोई लॉकडाउन नहीं लगाया जा सकता है, शुरुआत में इसलिए केंद्र सरकार ने लॉकडाउन लगाया था क्योंकि उस वक्त हमारे पास टेस्टिंग, हॉस्पिटल बेड, वैक्सीन व कोरोना से लड़ने के लिए अन्य संसाधन नहीं थे आज सबकुछ अपने पास है। ज्यादा से ज्यादा आबादी को वैक्सीन लग चुकी है बच्चों में भी वैक्सीनेशन की प्रक्रिया तेज हो चुकी है।’


राज्य और जिलों में लॉकडाउन के सवाल पर डॉ0 रजनीकांत ने कहा, ‘यह राज्य सरकार और जिले के अफसर को तय करना है कि अगर उनके यहां कोरोना का पॉजिटिविटी रेट बढ़ रहा है तो उसे कैसे रोका जाए ? इसके लिए उनके पास कई ऑप्शन होते हैं। मसलन वह कैंटेनमेंट जोन बना सकते हैं,नाइट कर्फ्यू जैसे अन्य प्रतिबंध लगा सकते हैं। अगर इसके बावजूद केस नहीं रुक रहे हों तो जिला स्तर पर लॉकडाउन लगाने का फैसला भी कर सकते हैं।’


डॉ0 रजनीकांत

कोविड प्रोटोकॉल का पालन जारी रखना होगा।

 मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखिए। 

जब तक जरूरी न हो, बाहर न निकलें। 

बाहर निकलने पर एहतियात बरतें, भीड़.भाड़ वाले इलाकों में जानें से बचें।

अगर अब तक वैक्सीन नहीं लगवाई है तो वैक्सीन लगवा लें दोनों डोज होने के बाद बूस्टर डोज भी लगवा सकते हैं।

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