क्या मुख्यमंत्री धामी तोड़ पायेंगे मिथक और पिता की हार का बदला ले पाएंगी बेटियां



नाम वापसी के बाद देवभूमि के अन्दर चुनावी रण में उम्मीदवारों की तस्वीर साफ हो गई है। प्रदेश की 70 विधानसभा सीटों के लिए अब 632 उम्मीदवारों  के बीच प्रचार की भीषण जंग शुरू हो गई है। सबसे बड़ा यक्ष प्रश्न अब सामने हैं क्या सत्ता के सिंहासन पर भाजपा ही काबिज रहेगी या पांचवीं विधानसभा के चुनाव में सत्ता परिवर्तन होगा। हवा में तैर रहे इन सवालों के बीच हर सीट पर मतदाताओं के बीच मंथन चल रहा हैं।


 आपको बता दें हर किसी की जुबान पर एक ही सवाल है कि क्या खटीमा के चुनावी रण में सीएम धामी मिथक तोड़ेंगे ? क्या कोटद्वार और हरिद्वार ग्रामीण विस सीट पर हार चुके दो पूर्व मुख्यमंत्रियों की बेटियां पिता के हार का हिसाब बराबर कर पाएंगी ? ऐसे ही यक्ष प्रश्नो वालीं करीब 17 विधानसभा सीटें हैं जो बेहद हॉट हो चुकी हैं। इन सीटों पर किसकी जीत और किसकी हार होगी इस पर पूरे प्रदेश की निगाहें लगी हैं। गौरतलब है कि राज्य गठन के बाद हुए चार विधानसभा चुनावों में यह मिथक रहा है कि मुख्यमंत्री चुनाव नहीं जीते। अब सवाल ये है कि खटीमा में यह मिथक टूटेगा या बरकरार रहेगा इस पर सबकी निगाहें रहेंगी। खटीमा में मुख्यमंत्री धामी चुनाव लड़ रहे हैं और उनके सामने कांग्रेस के भुवन कापड़ी मैदान में हैं आमआदमीपार्टीके प्रत्याशी एसएस कलेर चुनाव को त्रिकोणीय बना रहे हैं।

दूसरा यक्ष प्रश्न प्रदेश की कोटद्वार और हरिद्वार ग्रामीण सीटों पर भी सबकी निगाहें हैं। जहां कोटद्वार विस सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूड़ी की बेटी ऋतु खंडूड़ी उम्मीदवार हैं। पहले वह यमकेश्वर सीट से विधायक थीं लेकिन पार्टी ने उनका टिकट काट कर उन्हें कोटद्वार में उतारा है। इस सीट पर जनरल खंडूड़ी 2012 में चुनाव हार गए थे। ऋतु का मुकाबला उनके पिता को हरा चुके कांग्रेस के सुरेंद्र सिंह नेगी से है।

 मुकाबले में भाजपा के बागी धीरेंद्र सिंह चौहान मैदान से नहीं हटे हैं। इस चुनौती के बीच क्या ऋतु पिता की हार का हिसाब बराबर करने के इस सुनहरे अवसर का लाभ उठा पाएंगी या नहीं। उधर हरिद्वार ग्रामीण सीट पर कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की बेटी अनुपमा रावत को उतारा है। इस सीट पर 2017 में तत्कालीन सीएम हरीश रावत चुनाव हार गए थे। अब बेटी का मुकाबला हरीश को हराने वाले स्वामी यतीश्वरानंद से है।पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस चुनाव प्रचार अभियान के अध्यक्ष हरीश रावत के चुनाव मैदान में होने से लालकुआं सीट भी चर्चाओं में है। कांग्रेस ने हरीश रावत को रामनगर सीट से बदलकर लालकुआं में उतारा है। इस सीट पर प्रत्याशी घोषित कर दी गई संध्या डालाकोटी निर्दलीय मैदान में डटी है। भाजपा ने इस सीट पर मोहन सिंह बिष्ट को मैदान में उतारा है।

लैंसडाउन सीट भाजपा से आउट हुये  पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की पुत्र वधू अनुकृति गुसाईं की उम्मीदवारी की वजह से खासी चर्चाओं में है। कांग्रेस में शामिल होने के बाद पार्टी ने उन्हें लैंसडौन से उम्मीदवार बनाया है। मिस इंडिया रह चुकी अनुकृति का मुकाबला भाजपा के दो बार के विधायक दिलीप सिंह रावत से है जिनका उनके ससुर हरक से छत्तीस का आंकड़ा रहा है। श्रीनगर गढ़वाल के चुनावी रण में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल और कैबिनेट मंत्री डॉ0 धन सिंह रावत आमने-सामने हैं। दोनों दिग्गजों के बीच मुकाबला कांटे का माना जा रहा है बेशक चुनाव में सात प्रत्याशी हैं। टिहरी सीट पर भाजपा ने अपने विधायक धनसिंह नेगी का टिकट काटकर कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को उम्मीदवार बनाया है जबकि  धनसिंह भी भाजपा छोड़कर कांग्रेस के उम्मीदवार बन गए है। उम्मीदवारों की इस अदला-बदली ने टिहरी की चुनावी जंग को और भी रोमांचकारी बना दिया है।

गंगोत्री सीट पर यह मिथक है कि यहां जिस पार्टी का विधायक जीतता है उस पार्टी की सरकार बनती है। पिछले चार विधानसभा चुनाव से यह मिथक चला आ रहा है। इस सीट पर आप के मुख्यमंत्री पद के चेहरे कर्नल अजय कोठियाल मैदान में हैं। उनका मुकाबला भाजपा के सुरेश चौहान और कांग्रेस के पूर्व विधायक विजय पाल सजवाण से हैं।नैनीताल विधानसभा सीट पर भाजपा ने महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष सरिता आर्य को कांग्रेस से तोड़कर उम्मीदवार बनाया है। इस सीट पर उनका मुकाबला चुनाव से पहले भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए विधायक संजीव आर्य से है। इस सीट पर भाजपा के टिकट की उम्मीद टूटने के बाद हेम आर्य आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी बन गए हैं। इस लिहाज से इस सीट पर चुनाव कांटे की अक्कर का हो गया है।


हल्द्वानी सीट पर दिग्गज राजनीतिज्ञ स्वर्गीय इंदिरा हृदयेश के पुत्र सुमित हृदयेश का मुकाबला भाजपा के जोगेंद्र पाल सिंह रौतेला से है। रौतेला ने सुमित को नगर निगम के मेयर पद पर चुनाव हराया था। सुमित के पास अब अपनी हार का हिसाब बराबर करने का भी सुनहरा मौका है। तीर्थनगरी हरिद्वार सीट पर जहां भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक मैदान में हैं। उनके चुनाव पर भी सबकी निगाहें लगी हैं। उनका मुकाबला कांग्रेस के सतपाल ब्रहमचारी से है। गदरपुर सीट पर शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय के खिलाफ कांग्रेस ने प्रेमानंद महाजन को चुनावी समर मे उतारा है। पिछले चार चुनाव से शिक्षा मंत्रियों के हारने का मिथक चला आ रहा है। इस लिहाज से सबकी निगाहें अरविंद पांडेय पर लगी हैं कि क्या वह इस मिथक को तोड़ पाएंगे या नहीं।


चकाराता सीट पर लगातार चुनाव जीतते आ रहे कांग्रेस के प्रीतम सिंह की टक्कर में इस बार भाजपा ने गायक जुबिन नौटियाल के पिता रामशरण नौटियाल को चुनावी सयमर मे उतारा है। नरेंद्रनगर सीट पर भाजपा के बागी ओम गोपाल रावत को कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाया है।इस सीट पर भाजपा के सुबोध उनियाल और ओमगोपाल रावत के बीच सीधी टक्कर होने की उम्मीद है। बाजपुर सीट पर भाजपा छोड़कर कांग्रेस में लौटे पूर्व कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य चुनाव लड़ रहे हैं। उनके आने से कांग्रेस में नाराजगी है जरूर हे लेकिन टक्कर होने की संभावना है।।डोईवाला सीट पर तीन पर विधायक रहे पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत इस बार चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। भाजपा और कांग्रेस को इस सीट पर प्रत्याशी चुनने के लिए खासा पसीना बहाना पड़ा । पहली बार इस सीट पर स्थानीय प्रत्याशी चुनाव लड़ेंगे।लेकिन इस चुनाव में मंत्रियों की भी साख दांव पर लगी हुई है। चौबट्टाखाल में कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज के खिलाफ कांग्रेस ने केसर सिंह नेगी पर दांव खेला है। मसूरी में कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी का सीधा मुकाबला कांग्रेस की गोदावरी थापली से होने के आसार हैं।

 

कालाढुंगी में कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत की टक्कर कांग्रेस के महेश शर्मा से होगी जिन्हें पूर्व में घोषित प्रत्याशी की जगह टिकट दिया गया हे । डीडीहाट में बिशन सिंह चुफाल के खिलाफ कांग्रेस के प्रदीप पाल और सोमेश्वर में रेखा आर्य को कांग्रेस के राजेंद्र बाराकोटी टक्कर देते नजर आएंगे।

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