दुविधा-बाघ को आठ घंटे पिंजरे मे कैसे रखें




देहरादून / राजाजी नेशनल पार्क में टाईगर ट्रांसलोकेेशन की प्रक्रिया फिरशुरू नहीं हो पायी है । बाघ को पिंजरे में कार्बेट से लाने की वजह से देरी हो रही है।विभाग के विशेषज्ञों का कहना है कि आठ घंटे से ज्यादा उसे पिंजरे में रखना मुश्किल है।वह इतने लम्बे समय तक पिंजरे में अपने को चोटिल कर लेगा। राजाजी पार्क की (हरिद्वार) मोतीचूर रेंज में कार्बेट नेशनल पार्क (नैनीताल) से एक बाघ लाया जाना है । विभाग उसे एम्बुलेंस के अन्दर पिंजरे में रखकर लाने की योजना बना रहा है 6 दिसम्बर से इसकी प्रक्रिया शुरू होनी थी, लेकिन बाघ को पिंजरे में बन्दकर आठ घंटे से ज्यादा सफर कराने को लेकर सवाल उठने के बाद ये प्रक्रिया शुरू नहीं हो पायी। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जब बाघ को पिंजरे मे रखा जाता है तो वह काफी जद्दोजहद करता है। दांत से सरिया काटने और दीवार से टक्कर मारने का भी प्रयास करता है। ऐसे में आठ घंटे तक इस जद्दोजहद में वह खुद को गंभीर घायल कर सकता है, जो उसके लिए भी घातक हो सकता है। उसके दांत भी टूट सकते हैं। जब ट्रांसलोकेशन की गई तो बाघों को एअरलिफ्ट किया गया।

बाघ को पिंजरे में रखकर लाया जाना है।

वो खुद को घायल न कर ले इसके लिए विशेष पिंजरा बनाया जा रहा है। इसे एक एम्बुलेंस में डाक्टर और विशेषज्ञों की टीम के साथ लाया जाना है। जल्द अभियान की शुरूआत होगी इसी माह ट्रांसलोकेशन पूरा होगा।

जेएस,सुहाग,चीफ वाईल्ड लाईफ वार्डन

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