उत्तराखंड से किस नेता को मिलेगा प्रधानमंत्री मोदी का आशीर्वाद….दौड़ में हैं ये दिग्गज


दिल्ली । चर्चाओं का बाजार गर्म है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द मन्त्रिमण्डल का विस्तार करने जा रहे हैं। कहा जा रहा है अगस्त के दूसरे सप्ताह में मंत्रिपरिषद विस्तार हो सकता है।भारतीय जनता पार्टी मुहूर्त आदि का खास ख्याल रखती है ऐसे में माना जा रहा है सावन खत्म होते ही मंत्रिपरिषद विस्तार किया जाएगा। इससे पहले बीजेपी की राष्ट्रीय टीम घोषित होगी उसके बाद कैबिनेट में फेरबदल होगा ।


उत्तराखंड से किस नेता को मिलेगा प्रधानमंत्री मोदी का आशीर्वाद….दौड़ में हैं ये दिग्गज


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए जाने वाले इस मन्त्रिमण्डल विस्तार पर उत्तराखंड की भी नज़रें लगी हुई हैं। उत्तराखंड से पीएम मोदी का अटूट प्रेम किसी से छुपा नहीं है। बात करें इस लोकसभा चुनाव की तो बीजेपी ने इस बार उत्तराखंड में शानदार प्रदर्शन करते हुए कुल पड़े वोटों का साठ फीसदी अपने हिस्से में कर लिया। पीएम मोदी को मिली जीत में उत्तराखंड का अहम योगदान है। गौरतलब है कि उत्तराखंड की सभी पांचों लोकसभा सीटें बीजेपी के पास हैं। उत्तराखंड की जनता ने पांचों लोकसभा सीटें जिताकर भाजपा की झोली में डाली हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने सभी पाँचों सीटें उत्तराखंड से जीती थी।


भाजपा क्षेत्रीय संतुलन बनाकर चलना चाहती है, चूंकि प्रदेश में मुख्यमंत्री गढ़वाल से आते हैं, केंद्रीय मंत्रिमंडल में पहले से ही शामिल डॉ रमेश पोखरियाल निशंक हरिद्वार यानि मैदानी जनपद से आते हैं। वहीं वर्तमान में हरिद्वार लोकसभा से सांसद डॉ रमेश पोखरियाल निशंक मोदी कैबिनट में मंत्री हैं। उनके ज़िम्मे भारी भरकम मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ज़िमेदारी है। उत्तराखंड की जनता ने पांचों लोकसभा सीटें जिताकर भाजपा की झोली में डाली हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने सभी पाँचों सीटें उत्तराखंड से जीती थी।2014 में अजय टम्टा को मोदी कैबिनेट में जगह मिली थी। इस बार उमीद जताई जा रही है कि उत्तराखंड से डॉ निशंक के बाद एक औऱ नेता को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी। इस एक सीट को लेकर 3 नेताओं के नाम चर्चाओं में बने हुए हैं। वो नाम हैं राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी, नैनीताल से लोकसभा सांसद अजय भट्ट व अल्मोड़ा से लोकसभा सांसद अजय टम्टा। इन तीनों ही नेताओं की दावेदारी मजबूत बताई जा रही है।


अनिल बलूनी राज्यसभा सांसद व राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी के तौर पर अपनी ज़िम्मेदारी का बखूबी निर्वाह कर रहे हैं। बलूनी जब से राज्यसभा सांसद बने हैं तब से वह उत्तराखंड के हकों को पुरज़ोर तरीके से केंद्र में उठा रहे हैं। 1 दर्जन से अधिक योजनायें वह उत्तराखंड के लिए स्वीकृत करा चुके हैं। पर्यटन, स्वरोजगार, रिवर्स पलायन को लेकर वह तेज़ी से काम कर रहे हैं। केंद्रीय नेताओ से बेहतर सम्बन्धो का लाभ वह उत्तराखंड की जनता को दिला रहे हों। रेलयोजना हो, सड़क हो या अन्य योजना वह राज्य के हितों की मजबूत पैरवी करते रहते हैं।


इन चर्चाओं में सबसे अधिक नैनीताल से सांसद अजय भट्ट और अल्मोड़ा के सांसद अजय टम्टा को मोदी मंत्रिमंडल में जगह मिलने की चर्चाएं हो रही हैं। भाजपा क्षेत्रीय संतुलन बनाकर चलना चाहती है, चूंकि प्रदेश में मुख्यमंत्री गढ़वाल से आते हैं, केंद्रीय मंत्रिमंडल में पहले से ही शामिल डॉ रमेश पोखरियाल निशंक हरिद्वार यानि मैदानी जनपद से आते हैं। इसलिए इस बार कुमाऊं मंडल से किसी नेता की लॉटरी लगने की संभावना भी जताई जा रही है। इस लिए संतुलन के हिसाब से कुमाऊं से आने वाले किसी सांसद को मोदी कैबिनेट में जगह दी जा सकती है। अजय भट्ट का नाम इसलिए भी आगे है क्योंकि वो एक प्रदेश भाजपा संगठन के अध्यक्ष रह चुके हैं और उन्होंने नैनीताल सीट से हरीश रावत को भारी मतों से हराया है। चर्चाएं हैं कि प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह की गुड बुक में शामिल अजय भट्ट को भी मोदी मंत्रीमंडल में जगह मिल सकती है। सांसद बनने के बाद से अजय भट्ट ने लोकसभा में उत्तराखंड से जुड़े मुद्दों को जोर शोर से उठाया है। जनहित से जुड़ी योजनाओं की केंद्र में मजबूत पैरवी की है। जिसका लाभ उत्तराखंड राज्य को मिला है।


वहीं दूसरी ओर अजय टम्टा अल्मोड़ा सीट से सांसद का चुनाव पहले भी जीत चुके हैं और केंद्रीय कपड़ा मंत्री भी रह चुके हैं। ऐसे में उन्हें अनुभव भी है इसलिए उनका नाम भी मंत्री बनने में आगे चल रहा है।


आपको बता दें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 30 मई 2019 को 57 मंत्रियों के साथ शपथ ली थी नियमों के मुताबिक लोकसभा के कुल सदस्य संख्या का 15% यानी अधिकतम 81 मंत्री बनाए जा सकते हैं पिछली सरकार में मोदी मंत्रिमंडल में 70 मंत्री थे ऐसे में माना जा रहा है कि इस बार पिछली बार के आंकड़े पर प्रधानमंत्री मोदी ने अमल किया तो कम से कम 13 नए मंत्रियों को सरकार में जगह मिल सकती है। सूत्रों का कहना है कि मंत्रिमंडल विस्तार की कवायद है पिछले साल दिसंबर में ही प्रधानमंत्री मोदी ने शुरू कर दी थी जब 21 दिसंबर को नए मंत्रि परिषद की मैराथन समीक्षा बैठक की थी । अब मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल को पूरा किए 1 साल से ज्यादा हो चुके हैं । ऐसे मंत्रिमंडल विस्तार अब होना तय है 2014 में बनी सरकार के दौरान 6 महीने के अंदर पहला मंत्रि परिषद विस्तार हो गया था। जून में मंत्री परिषद को लेकर संघ पदाधिकारियों और बीजेपी नेताओं के बीच हुई बैठक से साफ है कि अगस्त से सितंबर के बीच में मंत्री परिषद का विस्तार किया जा सकता है। इस बात को इसलिए भी बल मिला है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक मध्य प्रदेश में 24 सीटों के सितंबर में संभावित उपचुनाव से पहले उन्हें केंद्र में जिम्मेदारी मिलने की मांग उठा रहे हैं उनका कहना है कि इससे उपचुनाव में बीजेपी को फायदा होगा


Source :Agency news 


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