शहीदों को नमन …उत्तराखण्ड के 75 लालो ने भी अपनी आहुति दी थी कारगिल युद्ध के दौरान उनके साथ शहीद हुए सभी भारत माँ के वीर शहीदों को नमन है


देहरादून/ उत्तराखंड को वीरों की भूमि कहा जाता है क्योंकि इस राज्य का सैन्य इतिहास वीरता और पराक्रम के असंख्य किस्से खुद में समेटे हुआ है। यहा के लोकगीतों में शूरवीरों की जिस वीर गाथाओं का जिक्र मिलता है, वे अब प्रदेश की सीमाओं में ही न सिमट कर देश-विदेश में फैली हैं। ठीक ऐसे ही कारगिल युद्ध के वीरों की गाथा भी इस वीरभूमि के जिक्र बिना अधूरी सी ही है। इस पहाड़ी प्रान्त के 75 सैनिकों ने इस युद्ध में देश रक्षा में अपने प्राणों को न्योछावर कर भारत माँ के कर्ज को अदा किया और शहादत दी।


बताते चले कि भारत पाकिस्तान के बीच मई में शुरू हुआ ये युद्ध 26 जुलाई 1999 को भारत की जीत के साथ समाप्त हुआ था। जो कि


कारगिल ज़िला, जम्मू-कश्मीर, में लड़ा गया था। कारगिल युद्ध, जिसे ऑपरेशन विजय के नाम से भी जाना जाता है। वैसे तो पाकिस्तान ने इस युद्ध की शुरूआत 3 मई 1999 को ही कर दी थी जब उसने कारगिल की ऊँची पहाडि़यों पर 5,000 सैनिकों के साथ घुसपैठ कर कब्जा जमा लिया था। इस बात की जानकारी जब भारत सरकार को मिली तो सेना ने पाक सैनिकों को खदेड़ने के लिए ऑपरेशन विजय चलाया।


पाकिस्तान की सेना और कश्मीरी उग्रवादियों ने भारत और पाकिस्तान के बीच की नियंत्रण रेखा पार करके भारत की ज़मीन पर कब्ज़ा करने की कोशिश की। पाकिस्तान ने दावा किया कि लड़ने वाले सभी कश्मीरी उग्रवादी हैं, लेकिन युद्ध में बरामद हुए दस्तावेज़ों और पाकिस्तानी नेताओं के बयानों से साबित हुआ कि पाकिस्तान की सेना प्रत्यक्ष रूप में इस युद्ध में शामिल थी। लगभग 30,000 भारतीय सैनिक और करीब 5000 घुसपैठिए इस युद्ध में शामिल थे। भारतीय सेना और वायुसेना ने पाकिस्तान के कब्ज़े वाली जगहों पर हमला किया और धीरे-धीरे अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से पाकिस्तान को सीमा पार वापिस जाने को मजबूर किया। यह युद्ध ऊँचाई वाले इलाके पर हुआ और दोनों देशों की सेनाओं को लड़ने में काफ़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। परमाणु बम बनाने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ यह पहला सशस्त्र संघर्ष था। भारत ने कारगिल युद्ध जीता।


Source :Agency news 


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