मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का जीरो टॉलरेंस वाला फैसला, भ्रष्टाचार के बड़े मामलों की अब होगी खुली जांच


देहरादून। जीरो टालरेंस के दावे को और पुख्ता करने के लिए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सचिवालय में आयोजित समीक्षा बैठक में ट्रैप और इन्वेस्टीगेशन की व्यवस्था को और अधिक मजबूत करने पर जोर दिया। सीएम ने कहा कि ट्रैपिंग व्यवस्था में लापरवाही करने वाले अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाए। एक साल में भी जांच के मामले विजिलेंस को ट्रांसफर न करने पर उन्होंने नाराजगी जताई।


सीएम ने कहा कि विभाग को अगर मामले विजिलेंस को ट्रांसफर करने हैं तो यह काम एक साल में पूरा करना होगा। हर सरकारी विभाग में संबंधित नोडल अधिकारी एक माह के अंदर सूचना विजिलेंस को उपलब्ध कराने के लिए जिम्मेदार होगा। इसके साथ ही विजिलेंस निदेशक को संदिग्ध मामलों का खुद ही संज्ञान लेने को भी कहा गया। बैठक में तय किया गया कि अपर मुख्य सचिव विजिलेंस से सहमति लेने के बाद निदेशक विजिलेंस को आरोपी के आवास एवं अन्य स्थानों पर छापा (रेड) मारने का अधिकार होगा।


 


हर सरकारी कर्मचारी को संपत्ति का ब्योरा हर साल अनिवार्य रूप से दाखिल करना होगा


 


बैठक में यह भी फैसला किया गया कि हर सरकारी कर्मचारी को संपत्ति का ब्योरा हर साल अनिवार्य रूप से दाखिल करना होगा। सीएम ने कहा कि इंटेलीजेंस तंत्र को मजबूत करने के लिए थानों से संपर्क बढ़ाया जाए और विजिलेंस सीमांत क्षेत्रों पर अधिक ध्यान दें। यानि अब शासन स्तर पर भ्रष्टाचार के बड़े मामलों की अब गोपनीय जांच नहीं होगी। अब खुली जांच कराई जाएगी और एफआइआर भी दर्ज करनी होगी। इसी तरह सरकारी विभागों को कोई भी जांच एक साल में विजिलेंस को ट्रांसफर करनी होगी। इसके अलावा विजिलेंस निदेशक संदिग्ध मामलों में स्वयं संज्ञान ले सकेंगे।


 


बैठक में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, सचिव न्याय प्रेम सिंह खिमाल, सचिव गृह नितेश झा, डीजीपी अनिल कुमार रतूड़ी, डीजी (कानून एवं व्यवस्था) अशोक कुमार, एडीजी विनय कुमार आदि शामिल थे।


Source :Agency News 


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