पुलिस कोरोना में व्यस्त, शराब माफिया कालाबाजारी में मस्त

पूरे देश में कोरोना के कारण लाकडाउन है। लाकडाउन के कारण हर जनपद की सीमा पूरी तरह से सील है। पुलिस की मुस्तैदी का आलम यह है कि एक चौराहे से दूसरे चौराहे तक पहुंचने के लिए कई सवालों के सटीक जवाब देने साथ जांच के दौर से भी गुजरना पड़ता है। पर शराब लेने व देने वालों के लिए शायद ऐसा नहीं है। शराब की इस तरह की सप्लाई करने की बकायदा बड़ी कीमत वसूली जाती है। अब सवाल यह उठता है कि जब पुलिस की चप्पे-चप्पे में गश्त हैं तो फिर आखिर किसकी शह पर ये खेल हो रहा है।
आजकल अगर आपको शराब की तलब लगी हुई है और आप सोच रहे हैं कि लाकडाउन में कैसे मिलेगी तो चिंता करने की जरूरत नहीं है।  आपको शराब किसी भी समय मिल सकती है बस कीमत थोड़ी ज्यादा देनी होगी। अगर आप सोच रहे हैं कि शराब की यह चाहत आपके लिए बड़ी मुसीबत ला सकती है तो ऐसा कुछ नहीं होगा। बस आपको थोड़ी मेहनत करनी होगी। यानि सुबह जल्दी उठना होगा या देर रात को शराब के ठेकों में जाना होगा। बस इतनी मेहनत और आपको आपका मनमाफिक ब्रांड मिल जाएगा। बस कीमत जरूर ज्यादा अदा करनी पड़ेगी।
देश में कोरोना को लेकर पूरे देशभर में सख्त लाकडाउन लगाया गया है। जमातियों की खबर के बाद तो ये और ज्यादा सख्त हो चुका है। सड़क पर गुजरने वाले हर व्यक्ति से बाकायदा पूछताछ और जांच की जाती है। आप किसी भी सड़क से ये सोचकर निकल जाएं की किसी की नजर में नहीं आएंगे तो आपकी गलतफहमी है। यहां पुलिस इतनी मुस्तैद है। पर जब आप शराब लेने जाते हैं तो ऐसा नहीं है।  लाकडाउन होने के बाद भी धड़ल्ले से शराब की सप्लाई हो रही है। शराब की यह सप्लाई किसी एक दुकान या ठेके में नहीं बल्कि हर दुकान या ठेके से हो रही है। फिर चाहे तो शहर के हृदयस्थल में संचालित दुकानें हो या फिर सीमावर्ती इलाकों में। शराब मिलने का सिलसिला सुबह तीन बजे से शुरू हो जाता है। जो सुबह छह बजे तक तो धड़ल्ले से चलता है फिर थोड़ी एहतियात शुरू कर दी जाती है। फिर ऐसी ही कहानी शाम सात बजे से शुरू हो जाती है जो देररात तक चलती है। इस बीच इन दुकानों और ठेकों के सामने से कई बार पुलिस की गश्त करते वाहन गुजरते हैं पर किसी को यह शराब का कालाधंधा दिखाई नहीं देता है।
दुगने से चौगुने दामों में बिकती है शराब
दुकानों और ठेकों से यह शराब दुगने से चौगुने दामों में बिकती है। दुकान का मालिक अगर एक बोलत की कीमत पांच सौ रुपये हैं तो ग्राहक को 1000 से 2000 रुपये तक में बेची जाती है। दुकान का मालिक यह भांप जाता है कि पार्टी कैसी है। अगर कोई नया ग्राहक है तो पहले उसे थोड़ा सा परखा जाता है। फिर उसकी जेब के अनुसार उससे कीमत वसूली जाती है। पुराने और पहचान वाले ग्राहकों को विशेष छूट दी जाती है।
लाकडाउन में शराब बेचना भी बना धंधा
आजकल जब शराब लोगों को मिलना सीधे तौर पर मुश्किल है तो कुछ लोगों ने इसे अपना बिजनेस भी बना लिया है। ये लोग एक बार में दुकान से 10 से 20 बोतल खऱीद लेते हैं। दुकानदार उन्हें 500 की बोलत 1000 रुपये में देता है। आगे ये लोग उसी बोतल को 2000 रुपये में बेच देते हैं। यानि अगर दिन में दो से तीन बोतल भी निकल गई तो अच्छी कमाई।
आखिर किसकी शह पर चल रहा है यह धंधा!
जब सुरक्षा व्यवस्था इतनी चुस्त है तो फिर सवाल यह उठता है कि आखिर किसके शह पर शराब की तस्करी का यह धंधा संचालित हो रहा है। इसके अलावा सवाल यह है कि इतनी गश्त करने वाली पुलिस की नजर में क्या ये बात नहीं आती होगी। क्या पुलिस और प्रशासन इन सवालों के जवाब नहीं खोज रही या फिर खोजना नहीं चाहती। प्रशासन की इस तरह की लापरवाही क्या सरकार की कोशिशों पर पानी फेरने जैसा नहीं लगता। अगर इनमें से किसी में कोरोना के संक्रमण हुए तो सोचिए भला कितने लोग इससे प्रभावित होंगे।


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