बोर्डिंग स्कूल गैंगरेपः- ऐसे खुला था छात्रों और स्कूल प्रबंधन की घिनौनी करतूत का सच

 




देहरादून/ देहरादून  के भाऊवाला स्थित बोर्डिंग स्कूल में साल 2018 में हुए गैंगरेप मामले की सच्चाई जिसने भी सुनी वो हैरान था। हैवान बने छात्र ही नहीं स्कूल प्रबंधन को भी छात्रा पर तरस नहीं आया। आज इस मामले में सभी आरोपियों पर पोक्सो कोर्ट में दोष सिद्ध हो गया है। घटना स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त से एक दिन पहले शाम को हुई थी। उस दिन ज्यादातर स्टाफ और छात्र स्वतंत्रता दिवस की तैयारियों में व्यस्त थे। आरोपियों ने इसी का फायदा उठाकर घटना को अंजाम दिया। उन्होंने शांत माहौल देखकर ही छात्रा को स्टोर की तरफ बुलाया था। उन्होंने स्कूल के हॉस्टल में छात्रा को एक टीचर के नाम से बुलावा भेजा था। छात्रा उनकी बातों में आ गई और हॉस्टल के स्टोर की तरफ चली गई। इसी बीच वहां इन छात्रों ने उसे पकड़ा और गैंगरेप कर डाला। यही नहीं, आरोपी छात्रों ने छात्रा को जान से मारने की धमकी देकर चुप करा दिया।इस केस का मुख्य आरोपी छात्र सर्वजीत बेहद शातिर था। सर्वजीत ने अपनी उम्र खुद ही पुलिस से छिपाई थी। वह जानता था कि अगर खुद को नाबालिग बताएगा तो वह सजा से बच सकता है। हालांकि,जब पुलिस ने स्कूल से दस्तावेज मांगे तो पता चला कि उसका जन्म फरवरी 2000 में हुआ था। जबकि, उसने खुद की पैदाइश फरवरी 2001 बताई थी।मामला खुलने के बाद छात्रा ने आरोप लगाया था कि स्कूल प्रबंधन ने उसका जबरन दवाई देकर गर्भपात कराया था। मेडिकल रिपोर्ट में पीड़िता की प्रेगनेंसी रिपोर्ट निगेटिव आई थी। माना जा रहा था कि छात्रा को जबरदस्ती दवाएं खिलाकर उसका गर्भपात करा दिया गया है।इसके बाद जांच में डॉक्टर ने स्कूल प्रबन्धन की काली करतूत के सारे राज खोल दिए। छात्रा को दवा देनी वाली बुजुर्ग महिला चिकित्सक ने पुलिस को बताया कि उनके पास स्कूल के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी और उसकी पत्नी छात्रा के माता-पिता बनकर आए थे। उन्होंने छात्रा को मासिक धर्म न होने की बात कही और इसके लिए दवा मांगी थी। इस पर उन्होंने दवाएं पर्चे पर लिखी और उसका अल्ट्रासाउंड कराने के बाद रिपोर्ट दिखाने को कहा। मगर, इसके अगले दिन उनके पास कोई नहीं आया।जांच हुई तो सामने आया कि तीन नाबालिगों के साथ ही स्कूल की निदेशक लता गुप्ता, प्रिसिंपल जितेंद्र शर्मा, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी दीपक, उसकी पत्नी तनु और आया भी इसमें शामिल थी। दुष्कर्म के बाद इन्होंने ही छात्रा का गर्भपात कराया था और बचने के लिए कई तरह का षड्यंत्र रचा था। पुलिस ने मामले में चार छात्रों और निदेशक समेत प्रबंधन के पांच अधिकारियों और कर्मचारियों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने छात्रों के खिलाफ गैंगरेप व पोक्सो अधिनियम और निदेशक समेत पांच के खिलाफ आपराधिक षडयंत्र, साक्ष्य छुपाने और पोक्सो की विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था।जब यह मामला तूल पकड़ा तो सीबीएसई ने भी इसकी जांच शुरू कर दी थी। तब सामने आया कि स्कूल का संचालन बिना एनओसी के हो रहा था। सूत्रों के अनुसार स्कूल प्रबंधन ने किसी अन्य स्कूल की एनओसी के आधार पर मान्यता के लिए आवेदन किया था। सीबीएसई अधिकारी यह देखकर आश्चर्यचकित रह गए कि स्कूल प्रबंधन ने मान्यता के लिए जो एनओसी भेजी, वह गलत है।  गैंगरेप के मामले में स्कूल प्रबंधन संवेदनहीनता की हद तक गया। मामले को हर स्तर पर दबाने का प्रयास किया गया।  इसके बाद जब प्रकरण के बड़ा होने की आशंका हुई तो पीड़िता की मदद के बजाए आरोपियों को ही बचाने का प्रयास किया गया। आरोपी छात्रों को रातों-रात स्कूल की दूसरी शाखा में शिफ्ट कर दिया गया। जबकि, पुलिस को बताया गया कि चारों छात्र छुट्टी पर गए हैं।हैवानियत का शिकार हुई पीड़िता को स्कूलों की बेरुखी का सामना भी करना पड़ा। दून के कई स्कूलों ने उसे प्रवेश देने से इंकार कर दिया था। एक बड़े स्कूल ने उस समय हद कर ही कर दी जब उसके माता-पिता को यह कहकर लौटा दिया कि दुष्कर्म पीड़िता होने के कारण स्कूल बच्ची को दाखिला नहीं दे सकता।


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