किसका होगा ‘शाहीन बाग’ चुनाव में कोई बन रहा करीबी,तो कोई दूरी बनाने में देख रहा फायदा!


 



नई दिल्ली/दिल्ली का चुनावी दंगल धीरे धीरे अपना रंग दिखाने लगा है। राजनीतिक दलों के नेता अपने विरोधियों पर वार करने से नहीं चूक रहे। अब विभिन्न दलों के नेताओं की शाहीन बाग पर नजर है। यहां नागरिकता संशोधनअधिनियम के खिलाफ 15 दिसंबर से विरोध प्रदर्शन जारी है। भाजपा शाहीन बाग से दूरी बना कर रखने में अपना फायदा मानकर चल रही है। तो वहीं कांग्रेस पार्टी इस प्रदर्शन को बाहर से समर्थन देकर खुद को करीबी साबित करने में लगी है।शाहीन बाग से नजदीकी बढ़ाने या दूरी बनाने के इस राजनीतिक खेल में अब आम आदमी पार्टी भी शामिल हो गई है। अभी तक इस मामले में चुप्पी साधने वाले अरविंद केजरीवाल भी मैदान में आ गए हैं। उन्होंने अब शाहीन बाग विरोध प्रदर्शन पर अपनी चुप्पी तोड़ दी है। उनका कहना है कि भारत के संविधान का अनुच्छेद 19 सभी को विरोध करने का अधिकार देता है। डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने भी शाहीन बाग में विरोध करने वाली महिलाओं का समर्थन करने की बात कही है।बता दें कि शाहीन बाग में चल रहे विरोध प्रदर्शन पर भाजपा का शुरू से लेकर अब तक एक जैसा स्टैंड रहा है। दिल्ली में मुसलमानों के लगभग 13 फीसदी वोट हैं। पार्टी नेताओं की सोच है कि शाहीन बाग का प्रदर्शन उसे चुनाव में फायदा दिला सकता है। पिछले चुनाव में अधिकांश मुस्लिम वोटरों ने आम आदमी पार्टी का समर्थन किया था। हालांकि इससे पहले मुस्लिम समुदाय को कांग्रेस पार्टी का वोटबैंक माना जाता रहा है।शाहीन बाग प्रदर्शन के जरिए भाजपा चाहती है कि मुस्लिम वोटर दोबारा से कांग्रेस की ओर चला जाए। अगर ऐसा होता है कि कई सीटों पर आप का खेल बिगड़ सकता है। ऐसी स्थिति में भाजपा फायदे में रहेगी। यही वजह है कि अमित शाह अपनी चुनावी रैलियों में जमकर शाहीन बाग का जिक्र कर रहे हैं। उन्होंने आप को निशाने पर लेते हुए कहाए इनके नेता आज भी निर्लज्ज होकर कहते हैं, हम शाहीन बाग वालों के साथ हैं।अमित शाह लोगों से पूछते हैं कि जो दंगे करते हैं या दंगे के लिए उकसाते हैं क्या उनको दिल्ली वालों को वोट देना चाहिए। इनसे पहले केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने स्पष्ट तौर पर कह दिया था कि दिल्ली वालों को यह तय करना होगा कि उन्हें जिन्ना वाली आजादी चाहिए या भारत माता की जय बोलने वाली। उन्होंने कहा कि शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों के साथ केजरीवाल सहानुभूति दिखाते हैं।उनका कहना था कि जामिया,सरिता विहार, जसोला की सड़कें बंद है। इन इलाकों में रहने वाले लोग परेशान हैं। दिल्ली की जनता को सवाल पूछना चाहिए कि हिंसा करने वालों ने किसकी संपत्ति जलाई। दिल्ली के मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री का शाहीन बाग पर दिया गया बयान यह समझने के लिए काफी है कि जामिया में होने वाले आंदोलन के पीछे आम आदमी पार्टी का हाथ है। कांग्रेस के नेता भी मंच से गालियां देने में लगे थे।‘आप’को यह मालूम है कि दिल्ली में मुसलमान अगर कांग्रेस की ओर जाते हैं तो पार्टी को इसका नुकसान होगा। मुस्लिम वोट का कांग्रेस की तरफ जाना या उसमें विभाजन होना ऐसी स्थिति में भाजपा को फायदा पहुंच सकता है। कांग्रेस पार्टी ने मुस्लिमों को अपने साथ जोड़ने के लिए प्रयास शुरू कर दिया है। दिल्ली कांग्रेस के अलावा राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और दूसरे बड़े नेता भी कहीं न कहीं शाहीन बाग का समर्थन करते हुए दिख रहे हैं।दो तीन दिन पहले तक आम आदमी पार्टी शाहीन बाग पर कुछ भी नहीं बोल रही थी लेकिन भाजपा ने जब से इस प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाया है तो आप को भी शाहीन बाग का खेल समझ आने लगा। यही वजह है कि पार्टी नेताओं को इस मसले पर अपनी चुप्पी तोड़नी पड़ी। पहले मनीष सिसोदिया ने कहा था कि प्रदर्शनकारियों के शाहीन बाग को खाली कराना उनकी सरकार का काम नहीं है।कालिंदी कुंज मार्ग का उद्घाटन उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। अब वे कह रहे हैं कि वह शाहीन बाग के लोगों के साथ खड़े हैं। शाहीन बाग को लेकर आम आदमी पार्टी का यह स्टैंड अब पार्टी की चुनावी रणनीति में बदलाव का संकेत दे रहा है। 
 


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