सियासी सर्जिकल स्ट्राइक से महाराष्ट्र में भूचाल

 




सलीम रज़ा
सियासत भी अजीब चीज है 'गंगू तेली को राजा भोज और राजा भोज को गंगू तेली बना देती है। वैसे भी सियासत के मैदान में रिश्तों की कोई अहमियत नहीं होती, सही भी कहा गया है कि लाशों के ढ़ेर पर गुजर कर मंजिल पाने वाले को ही सियासत का गुरू कहा जाता है। अब अगर शिष्य ही गुरू बनकर मैदान में ताल ठोंक दे तो गुरू का बगलें झांकना लाजिमी है जैसा कि शरद पंवार का हाल है। वैसे महाराष्ट्र के सियासी संग्राम में एक नहीं कई गुरू हैं पहले तो नये गुरू अजित पंवार को ही ले लीजिए  जिन्होंने अपने राजनीतिक गुरू के राजनीतिक जीवन पर ही प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया, अच्छी खासी मातो श्री में खिचड़ी पक रही थी अजित पंवार नमक लेकर ही भाग गये अब स्वादहीन खिचड़ी न खाते बन रही है और न ही फेंकते बन रही है ,रायता और फैल गया । मेरी अपनी सोंच कह रही है कि महाराष्ट्र की सियासत अंगडाई जरूर लेगी क्योंकि शतरंज की बिसात में शह और मात का खेल होता है अब देखना ये है कि मात किसको मिलेगी भाजपा को या फिर शिवसेना को ? लेकिन ये बात सच है कि किसी भी चीज की अति महत्वाकांक्षा के चलते प्रतिशोध की भावना का उदय होना अवश्यम्भावी है, इस प्रतिशोध की ज्वाला शरद पंवार के भी सीने में धधक रही होगी वो चाहें वजह कोई भी हा,े वहीं इस वक्त शिव सेना की हालत सियासी जुये में हारे हुये जुआरी जैसी है, जो इस बात का संकेत है कि अभी महाराष्ट्र की सियासत में भूचाल जरूर आयेगा।


 बाहरी रूप से अगर देखा जाये तो शिव सेना और भाजपा का चोली दामन का साथ समझा जायेगा लेकिन अन्दर से रिश्ते किस तरह कसैले हैं ये शिव सेना के पिछले बयानों से नजर आता है। ये बात अलग है कि लोगों को सियासत मे दोस्ती और दुश्मनी की परिभाषा समझ मे नहीं आती है। अब हैरान कर देने वाली बात है कि शिव सेना और भाजपा दोनों ही हिन्दुत्व छवि वाली पार्टियां हैं लेकिन समयानुसार चोला बदलना सियासत को आक्सीजन देते रहना जैसा है। यहां एक बात तो साफ है कि शिव सेना और एन.सी.पी. से तालमेल होना विचारों का मेल तो नहीं कहा जा सकता हां ये सत्ता का खेल जरूर है जहां विचारों का श्राद्ध हो गया। शिव सेना और भाजपा के रिश्तों के बीच तल्खी कोई नई बात नहीं है, क्योंकि जब शिव सेना महाराष्ट्र में सत्ता पर काबिज थी उस समय में भी भाजपा के खिलाफ बयानों को हवा दी थी उसके बाद 2014 मे हुये चुनाव में शिव सेना और भाजपा के बीच सीटों की सहमति न बनने पर दोनों ने ही अलग-अलग चुनाव लड़ा था। उस वक्त भी सियासी घटनाक्रम ऐसे ही था लेकिन शिव सेना ने सहयोग देकर भाजपा की सरकार बनाई तो थी लेकिन पूरे पांच साल भाजपा ने शिव सेना के प्रहारों को भी सहा था, जिसका खामियाजा भाजपा को इस विधान सभा चुनाव में मिला जब भाजपा को पिछली बार के मुकाबले इस बार 7 सीटों का नुकसान झेलना पड़ा ऐसे में शिव सेना के साथ गठबन्धन करने का मलाल तो भाजपा को करेल रहा होगा ।


 शायद ये ही वजह थी कि इस बार सरकार बनाने कें लिए भाजपा ने शिव सेना की शर्तो को सिरे से नकार दिया सरकार गठन में शिव सेना के 50-50 फार्मूले तक तो बात जम रही थी लेकिन मुख्यमंत्री शिव सेना का ही हो ये बात भाजपा के गले से कैसे और क्यों उतरे? वो ही भाजपा ने किया। तीसरी सबसे बड़ी बात ये है कि भाजपा के लिए कश्मीर में धारा 370 हटाना देश की आजादी के जश्न जैसा ही था लेकिन कश्मीर मे यूरोपियन सांसदों का दल दौरो पर आया था उस वक्त शिव सेना ने अपनी तीखी प्रतिक्रिया देकर समूचे विपक्ष को जगा दिया था। शिव सेना के इस बयान से भाजपा को असहज स्थिति का सामना करना पड़ा वो भी जब दोनों गठबन्धन करके चुनाव लड़ीं थीं अब जब अपने ही कुनबे में रार हो जाये तो फिर सहमति परदे में हो जाती है। जहां शिव सेना उद्धव ठाकरे की ताजपोशी के सपने देखने के लिए लालायित है वहीं एन.सी.पी. अवसरबादिता का जामा ओढे हुये शिव सेना को सबसे ऊंचाई पर पंहुचाकर हाथ खीेचने के लिए बेताब है तो  वहीं भाजपा से भी खुन्नस निकालने के लिए शरद पंवार शिव सेना को सब्ज़ बाग का सपना दिखा चुके हैं ।


 बहरहाल बगैर तालमेल के चूल्हे पर अवसरबादी हांडी में पकने वाली खिचड़ी बीच बाजार बिखरती है। अब देखना ये है कि सत्ता का सिकंदर बनने के लिए जब भाजपा अंधेरे में राष्ट्रपति शासन खत्म करा सकती है और राष्ट्रपति महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन खत्म किये जाने पर अपने हस्ताक्षर कर सकते हैं ऐसे में संवैधानिक पदों पर आसीन राष्ट्रपति,राज्यपाल एक रबर स्टाम्प बन सकता है तो फिर विचारों की राजनीति, और हिन्दुत्व का मुखौटा अपने आप ही उतर जाये तो कोई अचम्भे की बात नहीं है। महाराष्ट्र में जो सियासी संग्राम चल रहा है जिसमें सभी आदर्शों की आहुति दे दी गई जिस तरह अपनी लीक से हटकर शिव सेना ने भाजपा छोड़कर एन.सी.पी. से हाथ मिलाया है उससे महाराष्ट्र में शिव सेना की राजनीतिक छवि पर प्रतिकूल प्रभाव जरूर पड़ेगा। 


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