क्या प्रोफेसरों का धर्म देख पढ़ाई करेंगे छात्र ? किस दिशा की तरफ बढ़ रहा सेक्युलर इंडिया

 






 अनुराग गुप्ता



फिरोज खान की नियुक्ति को लेकर एक तरफ 13 दिनों से छात्र धरने पर बैठे हैं तो दूसरी तरफ अब लोग उनके समर्थन में ही उतर आए हैं।काशी। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में मुस्लिम प्राध्यापक फिरोज खान के समर्थन में अब कुछ छात्र उतर आए हैं और उन्होंने रैलियां की। छात्रों का कहना है कि धर्म के आधार पर किसी के साथ भी भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। इस मुद्दे को बढ़ता देख अब बहुजन समाज पार्टी ने सरकार पर निशाना साधा। 




मायावती ने कहा कि बनारस हिन्दू केन्द्रीय विवि में संस्कृत के टीचर के रूप में पीएचडी स्कालर फिरोज खान को लेकर विवाद पर शासन/प्रशासन का ढुलमुल रवैया ही मामले को बेवजह तूल दे रहा है। कुछ लोगों द्वारा शिक्षा को धर्म/जाति की अति-राजनीति से जोड़ने के कारण उपजे इस विवाद को कतई उचित नहीं ठहराया जा सकता है।उन्होंने आगे लिखा कि बीएचयू द्वारा एक अति-उपयुक्त मुस्लिम संस्कृत विद्वान को अपने शिक्षक के रूप में नियुक्त करना टैलेन्ट को सही प्रश्रय देना ही माना जाएगा और इस सम्बंध में मनोबल गिराने वाला कोई भी काम किसी को करने की इजाजत बिल्कुल नहीं दी जानी चाहिए। सरकार इसपर तुरन्त समुचित ध्यान दे तो बेहतर होगा।



आपको बता दें कि फिरोज खान की नियुक्ति को लेकर एक तरफ 13 दिनों से छात्र धरने पर बैठे हैं तो दूसरी तरफ अब लोग उनके समर्थन में ही उतर आए हैं। छात्रों का मानना है कि शिक्षा और ज्ञान को धर्म और जाति से दूर रखना चाहिए। विश्वविद्यालय के दो छात्र संगठनों ने मिलकर लंका गेट से लेकर रविदास गेट तक मार्च निकाला। इसमें एनएसयूआई और एआईएसए के छात्र शामिल थे।इस मार्च में छात्रों ने 'कबीर दास की धरती पर फिरोज खान का स्वागत है', 'रविदास व तुलसीदास के धरती पर फिरोज खान का स्वागत है', 'महामना की धरती पर फिरोज खान का स्वागत है' और 'महामना की कामना सद्भावना-सद्भावना' जैसे नारे लगाए।फिरोज खान के पिता रमजान खान भगवान कृष्ण की भक्ति करते हैं और मंदिरों तथा धार्मिक कार्यक्रमों में भजन गाते हैं। उनका कहना है कि संस्कृत हमारी रगों में दौड़ती है। रमजान ने कहा कि धर्म के आधार पर मुझसे कभी भेदभाव नहीं हुआ। हम सब भाईचारे में रहते हैं। मैं मस्जिद जाता हूं और अक्सर नमाज अदा करता हूं। मैं मंदिर जाता हूं और कृष्ण भक्ति और गौ-सेवा करता हूं। मैंने संस्कृत सीखी है। मेरे सभी बेटों ने संस्कृत सीखी है। फिरोज ने संस्कृत में उच्च शिक्षा प्राप्त कर एक प्रतिष्ठित संस्थान में नियुक्ति प्राप्त की।


उन्होंने आगे कहा  कि मैं केवल यह कहना चाहता हूं कि लोगों को धर्म के आधार पर फैसला करने की बजाय मेरे बेटे की योग्यता देखनी चाहिए। आपको बता दें कि फिरोज खान के पिता रमजान जयपुर से लगभग 35 किमी दूर बगरू गांव में तीन कमरों के एक छोटे से घर में रहते हैं और उनकी आय का एकमात्र स्रोत गायन है।फिरोज खान को बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में संस्कृत विषय का सहायक प्राध्यापक नियुक्त किया गया है। जिसके बाद कुछ छात्र उनके धर्म के चलते इस पद पर उनकी नियुक्ति का विरोध कर रहे हैं। यद्यपि, पिछले कुछ दिन से यह मुद्दा काफी चर्चा में है। बीएचयू ने संस्कृत विभाग में मुस्लिम प्राध्यापक की नियुक्ति का बचाव करते हुए कहा था कि वह धर्म, जाति, समुदाय अथवा लैंगिक भेदभाव किए बिना हर व्यक्ति को समान अवसर उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। विश्वविद्यालय का बयान उस वक्तआया था जब एबीवीपी ने संस्कृत साहित्य विभाग में फिरोज खान का सहायक प्राध्यापक पद पर नियुक्ति का विरोध किया। बीएचयू द्वारा एक अति-उपयुक्त मुस्लिम संस्कृत विद्वान को अपने शिक्षक के रूप में नियुक्त करना टैलेन्ट को सही प्रश्रय देना ही माना जाएगा और इस सम्बंध में मनोबल गिराने वाला कोई भी काम किसी को करने की इजाजत बिल्कुल नहीं दी जानी चाहिए। सरकार इसपर तुरन्त समुचित ध्यान दे तो बेहतर होगा



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