अर्थव्यवस्था को फिर लगा तगड़ा झटकाः दूसरी तिमाही में विकास दर पहुंची 4.5 फीसद

 



चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था को करारा  झटका लगा है। जुलाई.सितंबर तिमाही में विकास दर 4.5 फीसदी रही। मंदी के चलते पहली तिमाही में विकास दर पांच फीसदी रही थी। वित्त मंत्रालय ने आज इन आंकड़ों को जारी किया था। 


कल विशेषज्ञों के बीच कराए गए एक सर्वे में पता चला है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में विकास दर 4.7 फीसदी पर आ सकती है। सर्वे के अनुसार वैश्विक मंदी ने भारत के निर्यात पर काफी असर डाला है। जून तिमाही में विकास दर पांच फीसदी रही थी,लेकिन सितंबर तिमाही में यह पिछली 26 तिमाहियों में सबसे कमजोर रह सकती है।


2018 की समान तिमाही में यह सात फीसदी रही थी। सरकार सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि सितंबर तिमाही में विकास दर चार फीसदी से भी नीचे जा सकती है। इससे पहले जनवरी.मार्च 2013 में विकास दर 4.3 फीसदी रही थी। इंडिया रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री दिवेंद्र पंत का कहना है कि उपभोक्ता खपत में गिरावट की वजह से शहरी क्षेत्र की विकास दर काफी सुस्त हो सकती है जिसे त्योहारी सीजन में भी पर्याप्त ग्राहक नहीं मिल सके हैं। 
आरबीआई घटा सकता है रेपो रेट
सर्वे में कहा गया कि रिजर्व बैंक एक बार फिर रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती कर सकता है। तीन से पांच दिसंबर चलने वाली एमपीसी बैठक में रेपो रेट को घटाकर 4.90 फीसदी पर की जा सकती है। सर्वे में शामिल अधिकतर अर्थशास्त्रियों का कहना है कि घरेलू कर्ज की धीमी रफ्तार और कंपनियों के घटते मुनाफे की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था को रफ्तार पकड़ने में समय लगेगा। 


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