मुआवजा या पुनर्वास? प्रशासन ने टटोली जनता की राय, प्रभावित भवनों का सर्वे जारी
देहरादून : शहर में प्रस्तावित 26 किलोमीटर लंबे एलिवेटेड रोड निर्माण के तहत अब भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया ने गति पकड़ ली है। इसके तहत मंगलवार से मलिन बस्तियों में मकानों पर लाल निशान लगाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। जिन मकानों पर ये लाल निशान लगाए जा रहे हैं, वे अधिग्रहण की जद में आएंगे।प्रशासन की ओर से बताया गया कि यह निशान भवन स्वामियों को संकेत देने के लिए हैं, ताकि उन्हें इस प्रक्रिया की जानकारी मिल सके और वे अपने पक्ष प्रशासन के समक्ष रख सकें। चिह्नीकरण के बाद मकानों और दुकानों की स्क्रूटनी की जाएगी, फिर अधिग्रहण की औपचारिक कार्यवाही शुरू होगी। रिस्पना और बिंदाल नदी किनारे बनने वाले इस एलिवेटेड रोड के लिए सैकड़ों मकानों और दुकानों को तोड़ा जाएगा।
इस पूरी प्रक्रिया के दौरान प्रशासन सामाजिक समाघात सर्वे भी करवा रहा है, जिससे यह जाना जा सके कि प्रभावित परिवारों की राय क्या है। जिलाधिकारी सविन बंसल ने बताया कि "हम सामाजिक समाघात की प्रक्रिया को गंभीरता से ले रहे हैं। मकानों का चिह्नीकरण पूरा हो गया है, अब सर्वे रिपोर्ट के आधार पर यह तय होगा कि स्थानीय लोग क्या चाहते हैं।"प्रशासन की ओर से यह भी स्पष्ट किया गया है कि भवन स्वामी भूमि के बदले भूमि या फिर उचित मुआवजे का दावा कर सकते हैं। लोगों की राय के आधार पर ही शासन पुनर्वास नीति तैयार करेगा।इस बीच प्रभावित नागरिकों में संशय और चिंता का माहौल है। कई लोग मुआवजे की पारदर्शिता और पुनर्वास की व्यवस्था को लेकर आश्वासन चाहते हैं।यह देखना अब बाकी है कि शासन किस तरह से जनता की अपेक्षाओं और विकास कार्यों के बीच संतुलन स्थापित करता है।
टिप्पणियाँ