फ़िल्मी इतिहास को संजोये है भारतीय सिनेमा का राष्ट्रीय संग्रहालय




 





(अफ़ज़ाल राना)


देहरादून : भारतीय सिनेमा का राष्ट्रीय संग्रहालय देश का पहला संग्रहालय है जो भारतीय सिनेमा के इतिहास को प्रदर्शित करता है। यह दो इमारतों में स्थित है, न्यू म्यूजियम बिल्डिंग और मुंबई में पेडर रोड पर विरासत गुलशन महल। संग्रहालय रिकॉर्डिंग, यादगार वस्तुओं, कैमरों, उपकरणों और बहुत कुछ के माध्यम से भारतीय सिनेमा के इतिहास को प्रदर्शित करता है।इसकाउद्घाटन माननीय प्रधान मंत्री द्वारा 19 जनवरी, 2019 को किया गया।भारतीय सिनेमा का राष्ट्रीय संग्रहालय न केवल हिंदी सिनेमा को समर्पित है, बल्कि क्षेत्रीय फिल्मों के इतिहास और जानकारी को भी प्रदर्शित करता है। आगंतुक विभिन्न सिनेमाई घटनाओं से गुजर सकते हैं, जैसे लुमियर ब्रदर्स की पहली फिल्में या राजा हरिश्चंद्र नामक पहली फीचर फिल्म, जिसका निर्देशन दादा साहब फाल्के ने किया था।

इसमें प्रतिष्ठित फिल्मों के हस्तनिर्मित पोस्टर, मूक और स्टूडियो फिल्मों का युग, भारतीय सिनेमा पर विश्व युद्ध का प्रभाव और बहुत कुछ है। संग्रहालय का एक पूरा क्षेत्र फिल्म निर्माण के सबसे बुनियादी उपकरण - कैमरे - को समर्पित है। दादा साहब फाल्के द्वारा उपयोग किए गए हाथ से संचालित कैमरे से लेकर, सत्यजीत रे जैसे दिग्गज फिल्म निर्माताओं द्वारा उपयोग किए जाने वाले कैमरों के साथ साथ आज के आधुनिक 3डी और 4डी कैमरों यहा रखा गया है।यह खंड उन लोगों के लिए एक खुशी की बात है जो फिल्म बनाने की तकनीकी बारीकियों को समझते हैं।संग्रहालय में एक दीवार बनायी गयी है जिस पर दादा साहब फाल्के पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं की तस्वीरें हैं।

राज कपूर की मूर्ति जो एक आदर्श सेल्फी पॉइंट है या केएल सहगल की रिकॉर्डिंग, संग्रहालय में फिल्म प्रेमियों के लिए बहुत कुछ है। इसके अलावा, संग्रहालय के दूसरे विंग में एक खंड है जो पूरी तरह से महात्मा गांधी को समर्पित है। इस विंग में महात्मा पर बनी फिल्में, बच्चों का फिल्म स्टूडियो शामिल है जहां बच्चे शूटिंग, संपादन, प्रकाश व्यवस्था आदि में अपना हाथ आजमा सकते हैं।संग्रहालय में दो सिनेमाघर भी बनाए गये है जिनमे आने लोगों के लिए पुरानी फ़िल्मो क़ो दिखाया जाता है।फ़िल्म प्रेमी यहा परिवार सहित आकर इसका आनंद ले सकते है। बाहर से आने वालो क लिये यहा टिकेट की सुविधा की गयी है।

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