नदी में सिक्के क्यों फेंकते हैं लोग? आस्था के पीछे है वैज्ञानिक कारण

 


किसी भी पवित्र या खूबसूरत नदी के ऊपर से जब ट्रेन गुजरती है, तो लोग उसमें सिक्के जरूर डालते हैं। कई बार लोग किसी खुशखबरी को सुनने की लालसा में ऐसा करते हैं तो पवित्र नदी की देवी से वर्दान मांगने के लिए सिक्का फेंक देते हैं। बहुत बार तो प्रेमी जोड़ा अपने प्रेम की उम्र को लंबी करने के लिए सिक्कों को पानी में डालते हैं। ऐसे में सवाल ये उठता है, कि क्या नदी में सिक्का फेंकने के पीछे सिर्फ लोगों की आस्था और अंधविश्वास ही वजह है, या फिर इसके पीछे कोई वैज्ञानिक कारण भी छुपा है? आपको जानकर हैरानी होगी कि सिक्का फेंकने के पीछे साइंस है, जिसके बारे में 90 फीसदी लोगों को पता नहीं होगा!

हम आपके लिए लेकर आते हैं दुनिया से जुड़ी बेहद अनोखी जानकारियां। आज हम बात करने वाले हैं नदी में सिक्के फेंकने से जुड़ी मान्यता के बारे में। लोग इसे अंधविश्वास की तरह देखते हैं, पर क्या इसके पीछे कोई वैज्ञानिक कारण है? सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म कोरा पर हाल ही में किसी ने सवाल किया कि लोग नदी में सिक्का क्यों फेंकते हैं? कुछ लोगों ने इसके बारे में उत्तर दिया है। चलिए देखते हैं क्या हैं उनके जवाब।

ये प्रथा काफी पुराने वक्त से चली आ रही है, जो अब अंधविश्वास में बदल चुकी है और लोगों को इसकी सही वजह नहीं पता है। देवेंद्र कुमार नाम के यूजर ने कहा- “भारतीय क्यों नदियों में सिक्के फेंकते हैं इसके पीछे वैज्ञानिक कारण। पुरातन समय में तांबे के सिक्कों का चलन था। तांबे के सिक्कों को पवित्र नदियों में फेंकना एक ऐसा तरीका था जिससे हमारे पूर्वज संक्रमण मुक्त पेयजल सुनिश्चित कर सकते थे।

चूंकि नदियां पीने के पानी का मुख्य स्रोत होती हैं, इसलिए पानी के नीचे तांबे के सिक्के रखना बैक्टीरिया को मारने में मदद करता है। श्रेष्ठ कुमार नाम के यूजर ने कहा- “नदियों में सिक्के डालने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। कारण था पर्यावरण को साफ करने और पानी को शुद्ध रखने की सोच। पहले सिक्के तांबे के ढाले जाते थे और तांबा पानी को शुद्ध करता था इसी लिए नदियों में लोग सिक्के डालते थे कि नदी का पानी शुद्ध रहे और अपना सौभाग्य मजबूत हो। ”


इस वजह से पानी में सिक्के डालते हैं लोग

चलिए अब देखते हैं कि इसके बारे में अन्य सोर्स क्या कहते हैं। साइंस बिहाइंड इंडियन कल्चर वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार पुराने वक्त में सिक्के तांबे के हुआ करते थे। इंसानी शरीर के लिए कॉपर काफी काम का मेटल होता है। आज के वक्त लोगों को सलाह दी जाती है कि वो कॉपर की बोतलों में पानी पिएं। पुराने वक्त में इसी वजह से लोग कॉपर के बर्तनों में पानी पिया करते थे। हमारे पूर्वज नदी में कॉपर के सिक्के इस वजह से डालते थे जिससे नदियों में कॉपर की मात्रा बढ़ जाए और जब उस पानी को इंसान पिए तो उसे फायदा हो। धीरे-धीरे इसे मान्यता बना दी गई जो अब अंधविश्वास का रूप ले चुकी है, लोगों को पूरी तरह इसके बारे में जानकारी नहीं है कि आखिर ऐसा क्यों होता है। भारतीय संस्कृति कई मामलों में साइंटिफिक थी, इस बात से पता चलता है।

Sources:News 18

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