कांग्रेस की मांग मणिपुर हिंसा पर पीएम को करनी चाहिए सर्वदलीय बैठक

 


नई दिल्ली: मणिपुर में चल रहे जातीय संघर्ष को लेकर अमित शाह एक बड़ी सर्वदलीय बैठक करने वाले है। यह बैठक 24 जून को की जाएगी। ऐसे में अब बैठक से एक दिन पहले कांग्रेस ने केंद्र सरकार के सामने कुछ मांग की हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा मणिपुर में चल रहे जातीय संघर्ष पर चर्चा के लिए 24 जून को सर्वदलीय बैठक बुलाने के एक दिन पहले कांग्रेस पार्टी ने मांग की है कि बैठक खुद प्रधानमंत्री द्वारा बुलाई जानी चाहिए।यह बताते हुए कि बैठक तब बुलाई जा रही है जब प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका की यात्रा पर हैं। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को आरोप लगाया कि यह बैठक पीएम के लिए ‘महत्वपूर्ण नहीं’ थी। प्रधानमंत्री का 26 जून को भारत वापस आने का कार्यक्रम है। गांधी ने ट्विटर पर लिखा ‘मणिपुर 50 दिनों से जल रहा है, लेकिन प्रधानमंत्री चुप रहे।

सर्वदलीय बैठक तब बुलाई गई जब प्रधानमंत्री स्वयं देश में नहीं हैं!’ उन्होंने कहा, ‘‘स्पष्ट रूप से, यह बैठक प्रधानमंत्री के लिए महत्वपूर्ण नहीं है।’’ पार्टी के अन्य नेता,जैसे कांग्रेस महासचिव के0सी0 वेणुगोपाल ने मोदी के देश में नहीं रहने पर सर्वदलीय बैठक बुलाने को लेकर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी पर भी हमला बोला।प्रधानमंत्री को पहले भी मणिपुर हिंसा पर अपनी चुप्पी के लिए विपक्ष की आलोचना झेलनी पड़ी थी। इस मुद्दे पर बोलने के लिए विपक्ष के बढ़ते शोर के बावजूद, वह रविवार को अपने मन की बात संबोधन के 102वें एपिसोड के दौरान भी मणिपुर पर चुप रहे। जब उस शाम बाद में भाजपा के वैचारिक स्रोत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने मणिपुर में शांति का आग्रह करते हुए एक बयान जारी किया, तो कांग्रेस ने मोदी पर उनकी अपील को ‘‘आउटसोर्सिंग’’ करने का आरोप लगाया।

जनता दल (यूनाइटेड), तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी सहित और कांग्रेस के नेतृत्व में 10 विपक्षी दलों के सदस्यों ने भी 10 जून को पीएम कार्यालय को एक ज्ञापन सौंपा था और मोदी से मिलने और चर्चा करने के लिए समय मांगा था। हालाँकि, पीएम मोदी उनसे मिले बिना ही अमेरिका चले गए।मेइतेई को अनुसूचित जनजाति श्रेणी में शामिल करने की मांग का विरोध करने के लिए निकाले गए ‘‘आदिवासी एकजुटता मार्च’’ के बाद, 3 मई से मणिपुर के कुकी और मैतेई समुदायों के बीच जातीय झड़पें जारी हैं। अनुमान के मुताबिक, झड़पों में कम से कम 100 लोगों की जान चली गई, 300 से अधिक घायल हुए और 50,000 से अधिक लोग अपने घरों से विस्थापित हुए। जबकि गृह मंत्री अमित शाह ने पहले संघर्षग्रस्त राज्य का दौरा किया था और शांति की अपील की थी, प्रधानमंत्री अपने सार्वजनिक संबोधनों में इस मुद्दे पर चुप रहे हैं।

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