विश्व तम्बाकू दिवस: तम्बाकू से रिश्ता तोड़ें जीवन से रिश्ता जोड़ें

 










सलीम रज़ा

आजकल के दौर में जहां सरकार,स्वास्थ और स्वयं सेवी संगठन तम्बाकू से बचने के लिए लोगों को जागरूक करती रही हैं वहीं सरकार भी इस दिवस पर लोगों से तम्बाकू और इसके सहयोगी उत्पादों से लोगों को न करने का संकल्प दिलवाती है,ं लेकिन क्या इसका असर दिखाई देता है ? मुझे तो लगता है इसका असर न के बराबर ही है। हम देखते हैं कि आज की युवा पीढ़ी तो इस कदर इस जानलेवा तम्बाकू कीे आशिक हैं कि वो अपनी उम्र से पहले ही इसका रसस्वादन करने को लालायित रहतीे हैं। मैं तम्बाकू निषेध को लेकर निकला और ऐसे बहुत सारे स्कूली बच्चों से मिला जो 10 से बारहवीं के छात्र थे। उनसे धूम्रपान और तम्बाकू के सेवन से होने वाले दुष्परिणामों के बारे में पूछा तो उन्होंने उसके दुष्परिणाम के बारे में बताया भी। इसका मतलब साफ था कि ये बच्चे तमबाकू से परहेज रखने वाले ही होंगे,लेकिन हैरानी तब हुई जब मैंने गार्डन,आम के बाग और सूनसान जगहों पर ऐसे ही इस उम्र के किशोर बच्चों को बड़ी बेफिक्री से सुट्टे मारते देखा इतना ही नहीं ऐसे ही विभिन्न प्रकार के गुटखा भी इनके गाल के अन्दर दबे देखे जा सकते है जिसकी खुश्बू या दुर्गंध को दबाने के लिए ये किशोर सेन्टेड सुपारी या फिर चुवियंगम पापोलते देखे जा सकते हैं।

मेरा कहना ये है कि तम्बाकू निषेध का कितना असर दिखता है ये कभी भी आप शहर की सड़कों पर निगम की तरफ से लगने वाली झाड़ू सफाई में इकठ्ठा होने वाले गुटखों के रैपर सिगरटों के टोंटों से लगा सकते हैं। बहरहाल आज तम्बाकू निषेध दिवस है मेरा तो सभी उम्र के लोगों के साथ खासकर उन किशोर बच्चों को भी सलाह है कि तम्बाकू छोड़ो जीवन बचाओ। तम्बाकू के सेवन से होने वाली हानियों को इंसान जानता जरूर है लेकिन उसके त्याग करने की क्षमता उसके पास क्यों नहीं है ? क्यों इसके आगे इंसान अपने घुटने टेक देता है ? जबकि ये जानते हुए भी कि इसका सेवन जीवन को अंधकार की तरफ ले जा रहा है। क्या आपको मालूम है कि तम्बाकू एक ऐसा जहर है जिसके सेवन से 25 तरह के रोग और 40 तरह के कैंसर होते हैं। इतना जानने के बाद भी हर साल धूम्रपान और तम्बाकू का सेवन करने वालों के अंाकडों में उतरोत्तर वृद्वि हो रही है। क्या आप को मालूम है कि तम्बाकू सेवन के मामले में भारत विश्व में 34.6 फीसद के साथ तीसरे नम्बर पर है। वहीं ग्लोबल टोबैको सर्वे की रिपोर्ट भी कम चौंकाने वाली नहीं है।

इस सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक भारत में तम्बाकू और उससे बने उत्पाद का सेवन करने वालों की संख्या पर गौर करें तो यहां 17 करोड़ मर्द तम्बाकू का सेवन करते हैं लेकिन इसमें महिलाऐं भी पीछे नहीं हैं तकरीबन भारत में 7.8 करोड़ से ज्यादा महिलाऐं इस जानलेवा सेवन की लत का शिकार हैं। इतना ही नहीं आगे जो आंकड़ा आपको बतायेंगे तो आप स्तब्ध हो जायेंगे वो डरावना आंकड़ा है हमारे देश में 14 से 15 साल के तकरीबन 40 लाख बच्चे इस बुरी लत का श्किार हैं। जैसे मैंने अपने लेख में कुछ इस तरह की बातों का उल्लेख किया था तो ये समस्या एक विकराल रूप में हमारे सामने खड़ी है जिससे निजात पाने के हमें विकल्प और समाधान ढ़ूंढ़ने होंगे, मात्र एक दिवस के रूप में मनाया जाने वाले तम्बाकू निषेध दिवस से कोई हल निकलने वाला नहीं हैं क्योंकि ये मात्र एक औपचारिकता ही है, लेकिन संकल्प आपके हाथ में है। अब आप देखे कि विश्व स्वास्थ संगठन ने तम्बाकू निषेध दिवस की शुरूवात 1987 में करी थी लेकिन 35 साल बाद भी तम्बाकू का सेवन करने वालों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है जो अब 35 फीसद से ज्यादा हो चुका है। विश्व में तम्बाकू और उसके उत्पाद का सेवन करने वालों की संख्या तकरीबन 1 अरब है जबकि इसके सेवन से मरने वालों की संख्या हर साल 7 करोड़ है, इतना ही 21 सदी के मुहाने पर पहुंचने के साथ ये मौतों के आंकड़े 10 करोड़ के पार पहुचने या पहुच गये के करीब हैं। हम विश्व की बात न करके सिर्फ अपने देश की बात करें तो हमारे देश में इस जानलेवा तम्बाकू का सेवन करने वालों का फीसद विश्व के मुकाबले 12 फीसद है ये जानते हुए भी कि तम्बाकू में 70 तरीके के रसायन पाये जाते हैं जो स्वास्थ के लिए हानिकारक हैं,वहीं सिगरेट में 20 तरह के कैंसर पैदा करने वाले पदार्थ पाये जाते हैं।

अब अगर हम तम्बाकू की खेती की बात करें तो तम्बाकू के पौधे से कृषि, इंसान, स्वास्थ और पर्यावरण को खासा नुकसान पहुंचता है। लेकिन हमारे देश में तकरीबन 40 हैक्टेयर से ज्यादा जमीन पर तम्बाकू की खेती होती है जो कुल उपजाऊ भूमि का 0.27 फीसद है। इतना ही नहीं हमारा देश बीड़ी उद्योग में बड़ी हिस्सदारी निभाता है। अब सवाल ये उठता है कि इस उद्योग में ग्रामीण और कस्बों में सबसे ज्यादा हिस्स्ेदारी महिलाओं की होती है लिहाजा इसका सीधा असर उनके स्वास्थ और उनके शारीरिक विकास पर तो पड़ता ही है साथ ही इसका बुरा असर उनके बच्चों पर भी पड़ता है। दरअसल विश्व स्वास्थ संगठन का ध्येय तम्बाकू निषेध के साथ ‘पर्यावरण संरक्षण’ का भी है जिसका मूल उद्देश्य है कि तम्बाकू से पर्यावरण को कैसे बचाया जा सकता है। बहरहाल अगर हम सर्वे रिपार्ट को सामने रखकर देखें तो हर साल तकरीबन 60 हजार पेड़ों पर आरियां चलाकर सिगरेट बनाई जाती हैं। आगे तो और भी भयावह हालात है क्योंकि तम्बाकू से बने उत्पादों से तकरीबन आठ करोड़ चालीस लाख टन कार्बन डाई आक्साईड उत्सर्जित होती है,जो वायुमंडल का तापमान तो बढ़ाती ही है वहीं सिगरेट उत्पादन में तकरीबन 22 अरब लीटर पानी का इस्तेमाल किया जाता है जो पर्यावरण के संरक्षण के लिए कितना हानिकारक है।

अब आप देख लें कि ज्यादातर लोग घूम्रपान का सेवन करते हैं लेकिन इस बात से वो किस कदर गाफिल हैं कि उनकी ये आदत उनके मासूम बच्चों के जीवन और उनके घर में आने वाली संतान के लिए कितनी नुकसानदायक है। आपको बता दें कि आपकी ये गन्दी लत का शिकार हर समय आपके पास आपकी गोद में रहने वाले आपके बच्चे होते हैं जब इसकी दुर्गंध और घुंआ ही पास रहने वाले को इतना प्रभावित करता है तो फिर इसका सेवन करने वाले का क्या हाल होगा आपके बच्चे अस्थमा और कान जैसी बीमारियों के शिकार हो रहे हों तो वहीं घर की महिलाऐं बच्चेदानी के कैंसर से ग्रसित हो जाती हैं जिसमें विश्व में हर आठ मिनट में एक महिला की मृत्यु हो जाती है। अब बात इस जानलेवा जहर को रोकने की कर लें तो हमारे देश में साल 2003 में सिगरेट एण्ड अदर प्रोडक्टस एक्ट बना था और 2008 में सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान को निषेध कर दिया गया था जिसमें जुर्माने का प्रावधान भी था,लेकिन इसका कितना असर हुआ इसे आप देख ही सकते है,ं जबकि स्कूलों के सौ मीटर के दायरे तम्बाकू उत्पाद बेचना जुर्म है लेकिन सब राम भरोसे है।

ये तो तम्बाकू से होने वाले दुष्परिणामों के बारे में जितनी भी समझ में आई हमने बाते कर लीं लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि तम्बाकू और उनसे बने उत्पादों पर नियंत्रण कैसे हो ? जबकि इसको निषेध करने के लिए राष्ट्रीय और अन्तर्रराष्ट्रीय संधियां भी हुईं लेकिन संधि होने के बावतूद इन तम्बाकू उत्पाद बनाने वाली कंपनियों पर अब तक पाबंदी क्यों नहीं लग पा रही है । हम इस बात को नकार नहीं सकते क्योकि वैश्विक स्तर पर इनका जाल बहुत बड़े स्तर पर फैला हुआ है लिहाजा सिर्फ संधियों के बलबूते इस पर नियंत्रण या निषेध कर पाने की कोई आशा नजर ही नहीं आती।

लिहाजा इस बुरी लत और इनके सहयोगी उत्पादों को निषेध करने के संकल्प के प्रति आपकी मानसिक दृढ़ता ही इससे निजात का कारण बन सकती है। इस जानलेवा तम्बाकू उत्पादों से जहां गंभीर बीमारियां फैल रही हैं वही इसकी रोकथाम के लिए मजबूत कदम उठाने पड़ेंगे। अगर हम इस जहर के सेवन से बचे और लोगों को बचायें तो हम सबको ये संकल्प लेना होगा कि हम किसी भी तरह इसके सेबन से अपने आपको दूर रखें और दूसरों को भी इससे बचने की सलाह दें इसके लिए हमें एक दिनी दिवस की आवश्यकता नहीं है वल्कि दृढ़ इच्छााशक्ति के साथ संकल्प लेना होगा तभी इस दिवस को मनाने का आश्य पूरा होगा।

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