बसंत पंचमी पर तय होगी बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि



गोपेश्वर/ चमोली:उत्तराखंड देवों की भूमि यानि देवभूमि यूं ही नहीं कहा जाता वल्कि इस भूमि पर पवित्र चार धाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री स्थित हैं। गौरतलब है कि चार धाम की यात्रा पर हर साल असंख्य तादाद में श्रद्धालु देवभूमि पहुंचते हैं और भगवान बदरी विशाल का आशीर्वाद लेने के साथ ही बाबा केदार, यमुनोत्री और गंगोत्री धाम के दर्शन कर मनवांछित फल पाते हैं। यात्रा संपन्न होने के बाद भगवान अपने शीतकाली स्थलों पर प्रवास करते हैं। यहीं श्रद्धालु उनके दर्शन करते हैं। इसके साथ ही देवभूमि उत्तराखंड में अन्य प्रसिद्ध धार्मिक स्थल भी हैं।

आपको बता दें कि बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तारीख  तय करने की प्रक्रिया शुरू हो गई। इसके तहत डिमरी पुजारी गाडू घड़ा यात्रा में शामिल होने के लिए जोशीमठ के नृसिंह मंदिर से पांडुकेश्वर पहुंचे हुए हैं। बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि वसंत पंचमी को राजदरबार नरेंद्रनगर में तय होती है।

गोरतलब है कि चमोली जिले में समुद्रतल से 10276 फीट की ऊंचाई पर स्थित बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। परंपरानुसार रविवार को डिमरी पुजारी गाड़ू घड़ा लेने के लिए जोशीमठ से पांडुकेश्वर योगध्यान मंदिर पहुंचे। 

बदरीनाथ डिमरी केंद्रीय पंचायत के कार्यवाहक अध्यक्ष विनोद डिमरी ने बताया कि सोमवार को गाडू घड़ा पांडुकेश्वर के योग ध्यान मंदिर में पूजा करने के बाद डिम्मर गांव के लक्ष्मीनारायण मंदिर में विराजमान होगा जहां पूजा कर रात्रि विश्राम किया जाएगा। लक्ष्मी नारायण मंदिर में तीन दिनों तक ठहरने के बाद चार फरवरी को डिम्मर गांव से प्रस्थान कर ऋषिकेश होते हुए नरेंद्र नगर स्थित टिहरी नरेश के राज दरबार में पहुचेंगे।

यहां सर्दियों में बर्फबारी से चारों धाम बर्फ की सफेद चादर ओढ़ लेते हैं। बीते दिनों भी बदरीनाथ और केदारनाथ समेत चार धाम में खूब बर्फबारी हुई थी। इस दौरान धामों की छटा देखते ही बनती है।

उत्तराखंड में पंच केदार भी स्थित हैं, जिनकी अपनी अलग विशेषताएं। पांच मंदिरों के समूह को पंच केदार कहा जाता है। इनमें केदारनाथ, तुंगनाथ, रुद्रनाथ, मध्यमहेश्वर और कल्पेश्वर महादेव मंदिर शामिल है।

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