वरुण गांधी का सरकार पर हमला, रोजगार के लिए कब तक सब्र करे भारत का नौजवान

 


 लगातार अपनी ही पार्टी की सरकार पर हमलावर वरुण गांधी ने एक बार फिर से सवाल उठाए हैं। इस बार रोजगार के बहाने वरुण गांधी में केंद्र की मोदी सरकार और राज्य की योगी सरकार से सवाल पूछे हैं। वरुण गांधी ने ट्वीट कर लिखा कि पहले तो सरकारी नौकरी ही नहीं है, फिर भी कुछ मौका आए तो पेपर लीक हो, परीक्षा दे दी तो सालों साल रिजल्ट नहीं, फिर किसी घोटाले में रद्द हो। रेलवे ग्रुप डी के सवा करोड़ नौजवान दो साल से परिणामों के इंतज़ार में हैं। सेना में भर्ती का भी वही हाल है। आखिर कब तक सब्र करे भारत का नौजवान? वरुण गांधी ने कहा कि ग्रामीण भारत में औसत युवाओं के लिए रोजगार के अवसर मुख्यत: सरकारी नौकरियों तक ही सीमित रहते हैं, चाहे वह रक्षा क्षेत्र हो या पुलिस, रेलवे या फिर शिक्षा।


वरुण गांधी अर्थव्यवस्था और बेरोजगारी के मुद्दे पर सरकार के प्रबंधन की भी आलोचना करते रहे हैं। हालांकि इस दौरान उन्होंने अभी तक सीधे केंद्र सरकार को निशाना नहीं बनाया है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक क्षेत्र में पहले के मुकाबले कम सरकारी नौकरियां हैं, लिहाजा युवाओं में कुंठा के भाव पैदा हो रहे हैं। पिछले दो वर्षों में सिर्फ उत्तर प्रदेश में परीक्षा पेपर लीक होने की वजह से 17 परीक्षाएं स्थगित की जा चुकी हैं और अभी तक इसमें शामिल किसी बड़े सिंडिकेट की पहचान नहीं की जा सकी है। आपको बता दें कि प्रदेश में रविवार को होने वाली ‘उप्र टीईटी (अध्यापक पात्रता परीक्षा)-2021’ का प्रश्न पत्र लीक होने की वजह से परीक्षा स्थगित कर दी गई थी और पुलिस ने इस मामले में प्रश्न पत्र लीक करने वाले गिरोह के 26 सदस्यों को राज्‍य के विभिन्‍न जिलों से गिरफ्तार किया है। पीलीभीत से सांसद वरुण गांधी लगातार अपनी ही पार्टी की सरकार पर हमलावर हैं। वह किसानों के मुद्दे पर भी पार्टी की राय से अपनी राय अलग रखते थे। वरुण गांधी ने किसानों का खुलकर समर्थन किया और लखीमपुर हिंसा मामले में भी सरकार से सवाल पूछे थे। वरुण गांधी ने आंदोलनरत किसानों के सुर में सुर मिलाते हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानून बनाने की मांग की थी और आगाह किया था कि राष्ट्रहित में सरकार को ‘‘तत्काल’’ यह मांग मान लेनी चाहिए अन्यथा आंदोलन समाप्त नहीं होगा। इसके अलावा वरुण ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिख कर उन्होंने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग की थी और कहा था कि तीन कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने का यह निर्णय यदि पहले ही ले लिया जाता तो 700 से अधिक किसानों की जान नहीं जाती।

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