*सरकार , सिस्टम ख़ुद हो लाचार, भ्रष्टाचार पर कैसे हो वार*!


नरेश भारद्वाज

मंत्रालय/ अधिकारी/कर्मचारी से ग़लत काम करवाने, सही काम समय से पूर्व कराने, ठेका अपने नाम करवाना, आदि   नेक कार्यों के लिए सुविधा शुल्क देना, भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है. यह भ्रष्टाचार नामक बीमारी आज कैन्सर बन चुकी है. लाख कोशिस कर ले क़ानून, इस पर लगाम लगने की सम्भावनाएँ दूर दूर तक नज़र नही आती. इसकी रोकथाम के लिये सरकार/शासन/प्रशासन की दृढ़ इच्छा शक्ति की तो ज़रूरत है ही, जन जागरूकता की भी उतनी ही सख़्त आवश्यकता है. आमजन की नस नस में बैठी इस बीमारी का इलाज का मात्र उपाय है सर्जरी. लेकिन, अफ़सोस इस बात का है की भारत में ऐसा सर्जन लाये कहाँ से जो कुशलता पूर्वक सर्जरी कर सके. सर्जन बन सकता है डिजिटल लेनदेन. शत प्रतिशत लेनदेन जिस दिन डिजिटल हो जाय उम्मीद की जानी चाहिए की इस बीमारी से छुटकारा मिलने की शुरुआत हो जाये. लेकिन भ्रष्टाचार का एक अलग रूप भी है जिस पर केंद्र सरकार/राज्य सरकारें चाहे तो तुरंत रोक  लगा सकती है. ये वो भ्रष्टाचार है जो विकास की जड़ लग कर विकास को पीछे धकेल रहा है, और ये देन है पंचायती राज प्रणाली की. दर्शनिकों का कथन है, *क्षेत्रीय विकास की शुरुआत ग्राम सभाओं से शुरू होती है* लेकिन यह कथन सिर्फ़ किताबों तक ही सीमित रह गया है, विकास की पहली सीढ़ी ही आकंठ भ्रष्टाचार में डूबी हुई है. हो भी क्यूँ ना, जब त्रुटिपूर्ण न्याय पंचायत ब्यवस्था ने इसका मार्ग खोल कर रखा है. यह न सरकार न न्याय पंचायत प्रणाली से छुपा हुआ है की ब्लाक प्रमुख और ज़िल्ला पंचायत अध्यक्ष  का अप्रत्यक्ष चुनाव न्याय पंचायतों में भ्रष्टाचार का बीज बोता है.  ब्लाक प्रमुख और ज़िल्ला पंचायत अध्यक्ष बनने के लिए क्षेत्र पंचायत सदस्यों और ज़िल्ला पंचायत सदस्यों की ख़रीद फ़रोख़्त जग ज़ाहिर है. अपहरण से लेकर बंदूक़ की नोक पर वोट जुटाना आम ख़बर बनती है. देखा देखी आज ग्राम प्रधान का चुनाव भी धनबल बाहुबल पर ही जीते जाते हैं. जो व्यक्ति क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि बनने के लिए लाखों करोड़ों ख़र्च करेगा, उससे ईमानदारी से विकास कार्यों की उम्मीद क्यूँ कर की जा सकती है? इस भ्रष्टाचार की बीमारी को मिटाने के लिए किसी सर्जरी की आवश्यकता नही है. आवश्यकता है , राजनीतिक नफ़े नुक़सान से हट कर ईमानदार और दृढ़ इच्छा शक्ति की. मात्र न्याय पंचायत ब्यवस्था में एक बदलाव करना है जनता द्वारा प्रत्यक्ष चुनाव की. क्या राज्य सरकार और पंचायती राज ब्यवस्था हिम्मत जुटा पायेगी? उत्तर प्रदेश सरकार के उप मुख्यमंत्री ने तो घोषणा कर दी है की उनकी सरकार अगले चुनाव में ब्लाक प्रमुख और ज़िल्ला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव भी प्रत्यक्ष रूप से करवाएगी. क्या उतराखंड सरकार भी ऐंसी दृढ़ इच्छा शक्ति का परिचय दे पायेगी.

नरेश भारद्वाज

संस्थापक अध्यक्ष

सर्वोत्थान  सेवा संस्थान

(सामाजिक संगठन)

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